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Baudh Dharm ke bare mein Jankari – बौद्ध धर्म
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- बौद्ध धर्म के संस्थापक – महात्मा बुद्ध
- महात्मा बुद्ध का जन्म स्थान – कपिलवस्तु के समीप लुंबिनी में 563 ईसवी पूर्व हुआ था ।
- बुद्ध का अर्थ प्रकाशमान होता है। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो कपिलवस्तु के शाक्यों के राजा थे । माता का नाम महामाया था जो कोलिय राज्य की राजकुमारी थी । इनके जन्म के सातवें दिन ही माता की मृत्यु हो गई थी इनका पालन पोषण इनकी मौसी ने किया था ।
- गौतम बुद्ध के बचपन को नाम – सिद्धार्थ
- मृत्यु – 483 मल्लो की राजधानी कुशीनगर में ।
- पत्नी – यशोधरा
- महात्मा बुद्ध का पुत्र – राहुल
- इनके जीवन के चार घटनाएं प्रसिद्ध है जिनसे इनके में में वैराग्य कि भावना जाग्रत हुई ।
- 1.वृद्ध व्यक्ति
- 2.बीमार व्यक्ति
- 3.मृत व्यक्ति
- 4.सन्यासी प्रसन्न मुद्रा में
- सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की मुद्रा में घर त्याग दिया , इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है ।
- बुध के प्रारंभिक गुरु – आचार्य अलार कलाम तथा राम पुत्र
- 6 वर्ष की तपस्या के बाद 35 की उम्र में वैशाख पूर्णिमा की रात को पीपल के पेड़ / बोधि वृक्ष के नीचे निरंजना नदी के पास इनको ज्ञान प्राप्त हुआ ।ज्ञान प्राप्ति के बाद ही सिद्धार्थ गौतम बुध कहलाए ।
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धर्मचक्र प्रवर्तन
उरुवेला ( वर्तमान बोधगया ) से बुद्ध सारनाथ गए यहाँ पांच सन्यासियों को अपना उपदेश दिया यह का प्रथम उपदेश था , इसे ही बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्र प्रवर्तन के नाम से जानते है |
- तपस्सु और भल्लिक नाम के 2 शूद्र प्रथम बौद्ध धर्म के अनुयायी बने |
- राजगृह पहुंचने पर बिम्बिसार ने इनका स्वागत किया तथा वेणुवन दान में दिया |
- शिष्य आनंद के कहने इन्होने महिलाओ को मठ में प्रवेश की अनुमति दी इनकी प्रथम महिला भिक्षुणी प्रजापति गौतमी थी
- ज्ञान प्राप्ति करने के २० वर्ष बाद यह श्रावस्ती पहुंचे यही इन्होने अंगुलिमाल नाम डाकू को अपना शिष्य बनाया
महापरिनिर्वाण
- अपने शिष्य चंद के यहाँ भोजन खाकर बीमार पड़ गए , यही 80 वर्ष की उम्र में 483 ईस्वी पूर्व में इनकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु से पूर्व सुभद्द के यहाँ अपना आखिरी उपदेश दिया।
- मृत्यु के बाद 8 जगह अस्थियां भेजी गयी , यही पर 8 स्तूप बनाये गए।
बौद्ध धर्म की शिक्षाएं और सिद्धांत
- सृष्टि दुखमय और कुछ समय की है ईश्वर और वेदों की सत्ता अस्वीकार की।
- जन्म आधारित वर्ण व्यवस्था को अस्वीकार किया।
- हर घटना के पीछे कारण होता है कार्य कारण का यही सिद्धांत प्रतीत्य समुत्पात के नाम से जाना जाता है।
- निर्वाण प्राप्त करने पर बुद्ध ने बल दिया , जिसका अर्थ है जीवन मरण से मुक्त होना।
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न
- बुद्ध
- धम्म
- संघ
बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य
- दुःख
- दुःख समुदाय
- दुःख विरोध
- दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा
आष्टांगिक मार्ग
चार आर्य सत्य में दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा है जिसे मध्यमा प्रतिप्रदा या माध्यम मार्ग भी कहा जाता है। इस मार्ग में आठ सोपान है इसीलिए इसे अष्टांगिक मार्ग भी कहते है।
आठ सोपान निम्न है –
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक वाक्
- सम्यक कर्मांत
- सम्यक आजीव
- सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
अष्टांगिक मार्ग का पालन करने पर निर्वाण प्राप्त हो जाता है।
दस शील
बौद्ध धर्म में निर्वाण प्राप्ति के लिए नैतिक जीवन पर काफी बल दिया गया है। दस शीलों का पालन नैतिक जीवन का आधार है।
- अहिंसा
- सत्य
- अस्तेय चोरी न करना
- अपरिग्रह किसी प्रकार की सम्पत्ति न रखना
- मध् सेवन न करना
- असमय भोजन न करना
- सुखप्रद बिस्तर पर न सोना
- आभूषणों का त्याग
- ब्रम्हचर्य
- व्यभिचार से दूर रहना
गृहस्थों के लिए पांच शील और भिक्षुओं को सभी 10 शील मानना अनिवार्य था।
बौद्ध संगीतियाँ
बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए इन का आयोजन हुआ।
1st बौद्ध संगीती | 2nd बौद्ध संगीती | 3rd बौद्ध संगीती | 4th बौद्ध संगीती | |
अवधि | 483 BC | 383 BC | 250 BC | लगभग प्रथम शताब्दी |
स्थान | राजगृह | वैशाली | पाटलिपुत्र | कुण्डलवन, कश्मीर |
शासनकाल | अजातशत्रु | कालाशोक | अशोक | कनिष्क |
अध्यक्ष | महकस्सप | साबकमीर | मोगलीपुत्तीस | वसुमित्र |
बुद्ध के उपदेशों को सुत्तपिटक और विनयपिटक में अलग अलग संकलित किया गया। | भिक्षुकों में मतभेद बौद्ध संघ , स्थविर और महासंघिक में विभाजित | तीसरा पिटक अधम्मपिटक का संकलन | बौद्ध धर्म हीनयान और महायान में विभाजित , हीनयान स्थिरवादी थे और महायान महासंघिक थे। | |
बौद्ध धर्म से सम्बंधित प्रश्न और उत्तर
- जातक कथाऐं किस धर्म से संबंधित हैं – बौद्ध धर्म
- सर्वाधिक बुद्ध की मुर्तियों का निर्माण किस शैली में किया गया हैं – गंधार शैली में
- सबसे पहले शून्यता का सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाले बौद्ध दार्शनिक का नाम क्या है – नागार्जुन
- बौद्ध धर्म में भविष्य का बोधिसत्व किसे माना जाता हैं – मैत्रय को
- देवकी के पुत्र कृष्ण का वर्णन किस ग्रंथ में सर्वप्रथम वर्णन किया गया हैं – छांदोग्य उपनिषद में
- बुद्ध की कौनसी रचना गीता के समान पवित्र मानी जाती है – बुद्ध चरित
- बौद्ध धर्म क्या ईश्वर में विश्वास करता है – नहीं
- बुद्ध ने उपदेश किस भाषा में दिये – पाली भाषा
- चैत्य और विहार – चैत्य पूजा स्थल है और विहार भिक्षुओं का निवास स्थान
[…] धर्म का अनुयाई था परंतु बाद में बौद्ध धर्म का अनुयाई बन गया। राज तरंगिणी के […]