भारत के भौतिक प्रदेश (Physical Region of India)

अध्याय-3 भारत के भौतिक प्रदेश (Physical Region of India)


भारत के भौतिक प्रदेश – भारत की भूगर्भिक संरचना की विविधता ने देश के उच्चावच तथा भौतिक लक्षणों की विविधता को जन्म दिया है। देश के लगभग 10.6% क्षेत्र पर पर्वत, 18.5% क्षेत्र पर पहाड़ियाँ, 27.7% पर पठार तथा 43.2% क्षेत्रफल पर मैदान विस्तृत है।

स्तर शैलक्रम, विवर्तनिक (Tectonic) इतिहास प्रक्रमों तथा उच्चावच के स्वरुपों के आधार पर भारत को चार प्रमुख भौतिक प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है।*

(A) उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र

(B) प्रायद्वीपीय पठार

(C) उत्तर भारत का विशाल मैदान

(D) तटवर्ती मैदान एवं द्वीपीय भाग

उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र (The Northern Mountain Region)

उच्च धरातल, हिमाच्छादित चोटियाँ, गहरा व कटा-फटा धरातल, पूर्वगामी जलप्रवाह, पेचीदी भूगर्भीय संरचना और उपोष्ण अक्षांशों में मिलने वाली शीतोष्ण सघन वनस्पति आदि विशेषतायें भारत के इस पर्वतीय भाग को अन्य धरातलयी भू-भागों से अलग करती हैं। भारत की यह पर्वतमाला सिंधु नदी के मोड़ से प्रारम्भ होकर ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक फैली है। पूर्व से पश्चिम दिशा में अर्द्धवृत्त का निर्माण करते हुए इसकी लम्बाई 2400 किमी. और इसकी चौड़ाई अरुणाचल प्रदेश में 160 किमी. से कश्मीर में 400 किमी. के बीच पाई जाती है। यह फैलाव 22 देशान्तर रेखाओं के बीच मिलता है। इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर है। एशिया महाद्वीप में 6500 मीटर से अधिक ऊँची चोटियाँ 94 हैं जिनमें 92 चोटियाँ इसी पर्वतीय प्रदेश में स्थित हैं। यह पर्वतमाला भारत के 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इसके उत्तर में तिब्बत का पठार व दक्षिण में सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का विशाल मैदान फैला है। ध्यातव्य है कि इसके पश्चिमी भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग में ऊँचाई के साथ विविधता बढ़ती जाती है।

यह नवीन मोड़दार पर्वतमाला (Youngfolded mountains) है।* इनको बनाने में दबाव की शक्तियों अथवा समानान्तर भू-गतियों (Compressive forces or tangential earth movements) का अधिक हाथ है।* इनको बनाने वाली परतदार चट्टानें बहुत अधिक मुड़ एवं टूट (folded and faulted) गई हैं।

इनमें अनेक प्रकार के मोड़ (Overforlds), शायी मोड़ (Recumbent folds), ग्रीवाखण्डीय मोड़ (Nappes) तथा उल्टी भ्रंशे (Thrust faults) पाई जाती हैं। यह पर्वत अभी भी निर्माणावस्था में है। इस बात का प्रमाण इस भूखण्ड में भूकम्पों का निरन्तर आते रहना है। यहाँ पर अनेक काल की समुद्रों में निक्षिप्त परतदार चट्टानें मिलती हैं। इस श्रेणी का ढाल तिब्बत की ओर नतोदर (Concave) तथा भारत की ओर उन्नत्तोदर (convex) प्रकार का है। यह पर्वत श्रेणी अनेक पर्वतों का समूह है। मुख्य श्रेणी को हिमालय श्रेणी के नाम से पुकारते हैं। इस हिमालय के उत्तरी-पश्चिमी भाग में कराकोरम, कैलाश, लद्दाख, जास्कर श्रेणियाँ मिलती है। जबकि दक्षिण-पूर्व में नागा, पटकोई मणीपुर व अराकान श्रेणियाँ मिलती हैं।*

उत्तर के पर्वतीय क्षेत्र को चार प्रमुख समानान्तर पर्वत श्रेणियों में विभक्त किया जाता है।

1. ट्रांस हिमालय (तिब्बती हिमालय)

2. वृहद हिमालय (महान हिमालय)

3. लघु व मध्य हिमालय

4. बाह्य व शिवालिक हिमालय

ट्रांस व तिब्बत हिमालय क्षेत्र


ट्रांस हिमालय मूलतः यूरेशियन प्लेट का एक खण्ड है।*

इसे ‘तिब्बती हिमालय’ या ‘टेथीस हिमालय’ की भी संज्ञा प्रदान की गई है। इसका निर्माण हिमालय से पूर्व ही हो चुका था। पश्चिम में यह श्रेणी पामीर की गाँठ से मिल जाती है। इसका मुख्य विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य में हिमालय के उत्तर में है। इसकी लम्बाई लगभग 965 किमी. है। यह अवसादी चट्टानों का बना है।* यहाँ पर टर्शियरी से लेकर कैम्ब्रियन युग तक की चट्टानें पायी जाती हैं। यह श्रेणी सतलज, सिंधु व ब्रह्मपुत्र (सांगपो) जैसी पूर्वानुवर्ती नदियों (Antecedent Rivers) को जन्म देती है। ट्रांस हिमालय, वृहद् हिमालय से शचर जोन (Shuture zone) या हिन्ज लाइन के द्वारा अलग होती है।* जलाला –

टांस हिमालय की तीन श्रेणियाँ हैं। यथा :

(A) काराकोरम श्रेणी

(B) लद्दाख श्रेणी

(C) जास्कर श्रेणी

(A) काराकोरम श्रेणी– यह भारत का सबसे उत्तरी पर्वत है। इसे ‘कृष्णगिरी’ व उच्च एशिया की रीढ़ भी कहते हैं। भारत की सबसे ऊँची चोटी गॉडविन ऑस्टिन या माउन्ट K-2 (8611 मी.) इसी में स्थित है। वर्तमान में यह पाक. अधिकृत कश्मीर का अंग है। काराकोरम की नूबा घाटी में ही भारत का सबसे बड़ा सियाचीन ग्लेशियर (76.44 किमी.) अवस्थित है। (UPPSC)। इसके अलावा बियाफो (60 किमी.), बाल्टोरा (58 किमी.) तथा हिस्पर (61 किमी.) भी इस श्रेणी के प्रमुख ग्लेशियर हैं।

(B) लद्दाख श्रेणी- यह लेह के उत्तर तथा काराकोरम के दक्षिण में स्थित है। लद्दाख श्रेणी के पूर्वी भाग पर हिन्दू धर्म का पवित्र स्थल कैलाश पर्वत (तिब्बत, चीन) अवस्थित है। विश्व की सबसे खड़ी ढाल वाली चोटी ‘राकापोशी’ जोकि इस श्रेणी की सर्वोच्च चोटी है, यहीं स्थित है। इस श्रेणी में ही अक्साई चिन अवस्थित है। यह एक विवादित क्षेत्र है, जिस पर 1962 के युद्ध के बाद चीन ने कब्जा कर रखा है।

(C) जास्कर श्रेणी- यह लद्दाख के दक्षिण एवं महान हिमालय के उत्तर में स्थित है। लद्दाख श्रेणी एवं जास्कर श्रेणी के बीच सिंधु नदी की घाटी स्थित है। इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर एवं उत्तराखण्ड राज्यों में है। ‘नंगा पर्वत’ इस पर्वत श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी है।

माणा (Mana), नीति, लिपुलेख तथा किंगरी-बिंगरी आदि दर्रे इसी * श्रेणी में और उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है।

वृहद् हिमालय (Greater Himalaya)


इसे हिमाद्रि या सर्वोच्च या महान अथवा आंतरिक हिमालय की भी संज्ञा प्रदान की गई है। यह हिमालय की सर्वोच्च तथा सबसे ऊपरी श्रेणी है जिसका आन्तरिक भाग आर्कियन शैलों (ग्रेनाइट, नीस तथा शिष्ट चट्टानें) तथा सिरे एवं पार्श्व भागों में कायान्तरित अवसादी शैलों से निर्मित है।* इस श्रेणी की औसत ऊँचाई 6100 मी., लम्बाई 2400 से 2500 किमी. और चौड़ाई 25 किमी. है। दूसरे शब्दों में यह पश्चिम में नंगा पर्वत से पूर्व में नामचा बरवा पर्वत तक एक चाप की भाँति पर्वतीय दीवार के रूप में फैली है। अर्थात् यह सिंध नदी के गार्ज से अरुणाचल प्रदेश के ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक फैली है। मध्य भाग, जो प्रमुखतः नेपाल देश में विस्तृत है, सबसे ऊँचा भाग है। संसार की सर्वाधिक ऊँची चोटियाँ इसी श्रेणी में पायी जाती हैं जैसे- माउण्ट एवरेस्ट (8848 मी.), कंचनजंघा (सिक्किम राज्य की सीमा पर), धौलागिरि, अन्नपूर्णा, मकालू, नन्दा देवी, त्रिशूल, बद्रीनाथ, नीलकंठ एवं केदारनाथ आदि। एवरेस्ट चोटी को पहले तिब्बती भाषा में चोमोलुगंमा कहते थे, जिसका अर्थ है पर्वतों की र रानी। इसे ‘सागर माथा’ की भी संज्ञा प्रदान की जाती है।

इस पर्वत श्रेणी का ढाल काफी तेज है। यहाँ हिमनदियाँ कश्मीर में 2440 मी. की ऊँचाई तक तथा मध्य व पूर्व भाग में 3960 मी.की ऊँचाई तक पायी जाती है। इन हिमनदियों ने हिमालय की गहरी कटान की है। अधिकांश हिमनदों की लम्बाई 3 से 5 किमी. तक है; लेकिन अनेक बड़े-बड़े हिमनद भी पाये जाते हैं। कुमायूँ हिमालय में मिलाम और गंगोत्री हिमनद और सिक्किम में जेमू हिमनदों की लम्बाई 20 किमी. से भी अधिक है। इन हिमनदों ने अनेक महत्वपूर्ण नदियों को जन्म दिया है। इस श्रेणी के मध्य भाग से गंगा, यमुना और उसकी सहायक नदियों का उद्गम हुआ है। ___इस पर्वत श्रेणी में अनेक दर्रे मिलते हैं। कश्मीर में बुर्जिल और जोजिला; हिमाचल प्रदेश में बारा लाप्चा ला, शिपकीला; उत्तराखण्ड में थागला तथा सिक्किम में नाथूला व जेलेपला दर्रे महत्वपूर्ण हैं। हिन्दुस्तान-तिब्बत मार्ग, जो शिमला को गंगटोक से जोड़ता है, सतलज घाटी में शिपकीला दर्रे से होकर जाता है। सिक्किम की चुम्बी घाटी में जेलेपला दर्रे से होकर पश्चिम बंगाल में कालिम्पोंग से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक सड़क मार्ग जाता है।

वृहद् हिमालय, मध्य हिमालय से मेन सेन्ट्रल श्रस्ट (Main Central thrust) के द्वारा अलग होती है।

विश्व की अधिकांश ऊंची पर्वत चोटियाँ इसी पर्वत श्रेणी में स्थित हैं। कुछ प्रमुख पर्वत चोटियाँ निम्नलिखित हैं:

पर्वत चोटीदेशसमुद्रतल से ऊंचाई (मीटर में)
माउण्ट एवरेस्ट (सागरमाथा)नेपाल*-तिब्बत सीमा8848
काराकोरम (K2),गॉडविन ऑस्टिन(पाक, अधिकृत)8611
कंचनजंगाभारत (सिक्किम)8598
मकालूनेपाल8481
धौलागिरिनेपाल8172
नंगा पर्वतभारत8124
अन्नपूर्णाभारत8078
नन्दा देवीभारत7816
नामचाबरवातिब्बत7756

लघु या मध्य हिमालय


यह श्रेणी महान् हिमालय के दक्षिण तथा शिवालिक हिमालय के उत्तर में उसके समानान्तर फैली है।* यह 80 से 100 किमी. चौड़ी है। इस श्रेणी की ऊँचाई 3700 से 4500 मी. है। पीरपंजाल श्रेणी इसका पश्चिमी विस्तार है, जिसका जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल राज्य में फैलाव मिलता है। यह इस श्रेणी की सबसे लम्बी व प्रमुख श्रेणी है। झेलम और व्यास नदियों के बीच लगभग 400 किमी. की लम्बाई में लगातार फैलकर आगे यह श्रेणी दक्षिण-पूर्व दिशा में मुड़ जाती है। इस श्रेणी में पीरपंजाल (3494 मी.) और बनिहाल (2832 मी.) दो प्रमुख हैं। बनिहाल दर्रे में होकर जम्मू-कश्मीर मार्ग जाता है। इस श्रेणी के दक्षिण-पूर्व की ओर धौलाधर श्रेणी है, जिस पर शिमला (2205 मीटर) नगर स्थित है। इसके आगे नाग, रीवा, मंसी आदि श्रेणियाँ पायी जाती हैं। इन श्रेणियों पर चकरौता, मंसूरी, नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा, दार्जीलिंग एवं डलहौजी नगर स्थित हैं जिनकी ऊँचाई 1500 से 2000 मी. के बीच पाई जाती है।*

मध्य एवं शिवालिक हिमालय के बीच मेन सीमान्त दरार (Main boundary fault) पायी जाती है, जो पंजाब से असोम राज्य तक विस्तृत है। यह पर्वत प्री-कैम्ब्रियन तथा पैलियोजोइक चट्टानों के बने हैं। इस श्रेणी में स्लेट, चूना पत्थर, क्वार्ट्स और अन्य चट्टानों की अधिकता पायी जाती है। इस श्रेणी के दक्षिण की ओर के ढाल तेज हैं, जबकि उत्तरी ढाल मंद हैं, और घने वनों से ढके हैं। यहाँ पर कोणधारी वन मिलते हैं तथा ढालों पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाये जाते हैं, जिन्हें कश्मीर में मर्ग (गुलमर्ग, सोनमर्ग, टनमर्ग) उत्तराखण्ड में वुग्याल तथा पयार और मध्यवर्ती भागों में ‘दुआर’ एवं ‘दून’ कहते हैं।*

मध्य और महान हिमालय के बीच दो खुली घाटियाँ पायी जाती हैं। पश्चिम में कश्मीर की घाटी, पीरपंजाल व महान हिमालय के मध्य फैली हैं। इसका क्षेत्रफल 4900 वर्ग किमी. है। यह 1700 मी की ऊँचाई पर 150 किमी. लम्बी व 89 किमी. की चौड़ाई में फैली है। पूर्व में काठमाण्डू घाटी है, जो नेपाल देश में स्थित है। यह समुद्र धरातल से 1500 मी. की ऊँचाई | पर है तथा 25 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैली है।* इन श्रेणियों | की अन्य घाटियों में हिमाचल प्रदेश की कॉगड़ा व की अन्य घाटियों में हिमाचल प्रदेश की काँगड़ा व कुल्लू घाटियाँ महत्वपूर्ण हैं।* काँगड़ा घाटी का विस्तार धौलाधर श्रेणी के निचले भागों से लेकर व्यास नदी के दक्षिणी भाग तक है। यह नमन घाटी (strike valley) है। कुल्लू घाटी एक अनुप्रस्थ घाटी (Transverse valley) है जो रावी नदी के ऊपरी भाग में विस्तृत है।

शिवालिक हिमालय


यह हिमालय की सबसे बाहरी एवं नवीनतम श्रेणी है। इसे बाह्य हिमालय (Outer Himalayans) एवं उप हिमालय भी कहते हैं। यह पंजाब में पोतवार बेसिन के दक्षिण से आरम्भ होकर पूर्व की ओर कोसी नदी तक अर्थात् 87° पूर्वी देशान्तर तक फैली है। इसके आगे यह मध्य हिमालय के साथ असम्बद्ध हो गई है। पूर्व में अरूणाचल प्रदेश तक भी यह मिली हुई मिलती है। औसतन यह 15 से 30 किमी. चौड़ी है। हिमाचल प्रदेश व पंजाब में इसकी चौड़ाई 50 किमी. है, जबकि अरूणाचल प्रदेश में इसकी चौड़ाई केवल 15 किमी. रह जाती है। यह गोरखपुर के समीप ‘हूंडवा श्रेणी’ तथा पूर्व में चूरिया मूरिया श्रेणी’ के रूप में जानी जाती है। इसको अरुणाचल प्रदेश में डाफला, मिरी, अबोर और मिशमी पहाड़ियों की संज्ञा से अभिहित किया जाता है। शिवालिक की औसत ऊँचाई 900 से 1200 मी. के बीच पायी जाती है।* शिवालिक को जम्मू में जम्मू पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण काल मध्य मायोसीन से निम्न प्लीस्टोसीन काल अर्थात सेनोजोइक युग में माना जाता है। यह मायो-प्लीस्टोसीन बालू, कंकड़ तथा संपीडात्मक शैल (Conglomerate rocks) की मोटी परतों से निर्मित है।

* ध्यातव्य है कि शिवालिक के गिरिपद (Foothill) अथवा उपहिमालय क्षेत्र के पश्चिम में सिंधु से पूरब और तीस्ता के बीच फैला क्षेत्रफल भाबर का मैदान स्थित है।

यह श्रेणी वृहद् सीमान्त दरार (Great boundary fault) द्वारा अलग होती है। इस दरार का क्रम अधिक स्पष्ट नहीं है। शिवालिक व मध्य हिमालय के बीच अनेक घाटियाँ पायी जाती हैं। इनको पश्चिम व मध्य भाग में दून (doon) और पूर्व में द्वार (duar) कहते हैं। देहरादून, हरिद्वार ऐसे ही मैदान हैं। देहरादून घाटी 75 किमी. लम्बी और 15 से 20 किमी. चौड़ी है। यह मोटे कंकड़ व काँप निक्षेपों से ढकी हैं। यह समतल धरातलयुक्त नमन घाटी (Flat bottomed strike valley) है। दून जैसी अन्य प्रमुख घाटियाँ इस प्रकार हैं- जम्मू में ऊधमपुर और कोटली, उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में कोटा, पातली, चुम्बी, कियादां, कोटरी आदि। प्राचीन भूगोलशास्त्रियों ने इसे मैनाक पर्वत का नाम दिया है।

पूर्वांचल की पहाड़ियाँ

हिमालय की उत्तर से दक्षिण म्यांमार-भारत सीमा के सहारे फैली और अरूणाचल प्रदेश (तिराप मण्डल), नागालैण्ड, मणिपुर एवं मिजोरम से गुजरने वाली पहाड़ी श्रेणियों को समवेत रूप में पूर्वांचल की पहाड़ियाँ संज्ञा से जाना जाता है। अरूणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में मिशमी तथा पटकाई बुम महाड़ियाँ हैं। पटकाई बुम अरूणाचल प्रदेश तथा म्यांमार की सीमा बनाती है। पटकाई बुम के दक्षिण नगा श्रेणी और इसके दक्षिण में कोहिमा पहाड़ी स्थित हैं। इन दोनों पहाड़ियों के सर्वोच्च शिखर का नाम क्रमशः सारामती (3826मी.) एवं जापवी (2995 मी.) है। बरेली श्रेणी उत्तर-दक्षिण दिशा में नगालैण्ड तथा असोम राज्यों में विस्तृत हैं। मणिपुर राज्य में मणिपुर पहाड़ियाँ एवं मिजोरम राज्य में मिजो पहाड़िया हैं। मिजो पहाड़ियों के पश्चिम में त्रिपुरा पहाड़ियाँ हैं। ध्यातव्य है कि त्रिपुरा तीनों ओर से बांग्लादेश से घिरा है।

पूर्वांचल पहाड़ी की एक अन्य शाखा, जो कि भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार का उत्तर-पूर्वी विस्तार है, पूरब-पश्चिम में विस्तृत है, मेघालय की पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है। इसकी तीन प्रमुख पहाड़ियाँ हैं। इसके पूर्वी भाग में जयन्तिया, पश्चिम भाग में गारो तथा इन दोनों के बीच में खासी पहाड़ी है। गारो पहाड़ी के दक्षिण की ओर सुरमा नदी का मैदान है।, जबकि खासी पहाड़ी के दक्षिण की ओर चेरापूँजी का पठार है। ध्यातव्य है कि हिमालय शृंखला के रूप में हिमालय का दक्षिणतम विस्तार अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह एवं इण्डोनेशिया तक पाया जाता है।

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन (Regional Division of the Himalaya)

सिडनी बुराई नामक भूगर्भशास्त्री ने हिमालय का वर्गीकरण नदी घाटियों के आधार पर किया है। इन्होंने हिमालय की पश्चिमी सीमा सिंधु नदी तथा पूर्वी सीमा ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा | निर्धारित की है। इन्होंने हिमालय के चार प्रदेश बताए हैं|

हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण : एक दृष्टि में

नामस्थितिमध्यवर्ती दूरी KM
पंजाब हिमा.सिंधु व सतलज नदियों के मध्य560
कुमायूं हिमा.सतलज व काली के मध्य320
नेपाल हिमा.काली व तिस्ता के मध्य800
असम हिमा.तिस्ता व दिहांग के मध्य720

1. कश्मीर या पंजाब, हिमालय

इसका विस्तार सिंधु नदी से लेकर सतलज नदी तक 560 किमी. की लम्बाई में मिलता है। यह कश्मीर व हिमाचल प्रदेश राज्यों में फैला है। दक्षिण से उत्तर की ओर इसमें पीरपंजाल, जास्कर, लद्दाख, कराकोरम, धौलाधर श्रेणियाँ शामिल हैं। यहाँ पर दक्षिणी ढालों पर वनों की प्रचुरता है जबकि उत्तरी ढाल निर्जन, ऊबड़-खाबड़ तथा शुष्क है। शुष्क होने के कारण हिम रेखा अधिक ऊँचाई पर पाई जाती है।

2. कुमायूँ हिमालय

इसका विस्तार सतलज नदी से लेकर काली नदी तक 320

इसका विस्तार सतलज नदी से लेकर काली नदी तक 320 किमी. की लम्बाई में उत्तराखण्ड राज्य में है। इसका पश्चिमी भाग गढ़वाल व पूर्वी भाग कुमायूँ हिमालय कहलाता है। यह पंजाब

हिमालय की अपेक्षा अधिक ऊँचा है। यहाँ की प्रमुख चोटियाँ बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशूल, माना, गंगोत्री, नन्दा देवी, कामेत है। गंगा और यमुना नदियों के उद्गम स्थान यहीं पर हैं। नन्दा देवी कुमायूँ हिमालय का सर्वोच्च शिखर है। दून घाटियाँ शिवालिक व मध्य हिमालय के बीच स्थित हैं। नैनीताल के निकट नैनीताल, भूमिताल तथा सातताल झीलें स्थित हैं। माना एवं नीति दरों द्वारा यह भाग तिब्बत के निकट है।* गंगोत्री क्षेत्र में ही गंगोत्री हिमनद से पवित्र गंगा के प्रमुख स्रोत के रूप में भागीरथी का उद्भव होता है।

3. नेपाल हिमालय

इसका विस्तार काली से लेकर तिस्ता नदी तक 800 किमी. की लम्बाई में मिलता है। यह कुमायूँ हिमालय की अपेक्षा अधिक ऊँचा है तथा हिमालय की सबसे ऊंची चोटियाँ इसी भाग में पायी जाती हैं। कंचनजंघा, मकालू, एवेरस्ट यहीं पर स्थित हैं। इसका विस्तार नेपाल देश में भी है। काठमाण्डु घाटी यहाँ की प्रमुख घाटी है।

4. असम हिमालय

इसका विस्तार तिस्ता नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी तक 720 किमी. की लम्बाई और लगभग 67,500 वर्ग किमी. क्षेत्र पर पाया जाता है। इसमें अरूणाचल प्रदेश (भारत) और भूटान के भाग सम्मिलित हैं। नामचा बरवा के उपरान्त हिमालय श्रेणियों की दिशा मुड़कर म्यांमार-भारत सीमा के सहारे उत्तर से दक्षिण हो जाती है। असम हिमालय को पूर्वी हिमालय भी कहा जाता है जो अचानक मैदान से ऊपर उठा हुआ दिखायी पड़ता है। इस क्षेत्र में निवास करने वाली प्रमुख जनजातियों के आधार पर असम हिमालय को कई भौगोलिक लघु खंडों में श्री और दिकराय नदियों के मध्य अका पहाड़ियाँ, भैरेली और रांगानाद के बीच दफला पहाड़ियाँ, सबन श्री मण्डल के उत्तरी भाग में मिरी पहाड़ियाँ, सियोम एवं दिबांग के मध्य अबोर पहाड़ियाँ तथा दिबांग और दिहांग (ब्रह्मपुत्र) के बीच मिश्मी पहाड़ियाँ उल्लेखनीय हैं। इनकी क्रमशः कुला कांगड़ी (7554 मी.), चोमोवहारी (7327 मी.), टोवा डज, कांगटो (7090 मी.), ग्यालापेरी (7151 मी.), एवं नामचा बरवा (7756 मी.), प्रमुख शिखर है। जैलेप ला (4538 मी.), बुम ला (4331 मी.), टिसी ला (4740 मी.), तुंगा (5044 मी.), योंग्याप (3962 मी.), कांगडी कर्पो ला (5636 मी.) प्रमुख दर्रे हैं। इसमें सिक्किम की चुम्बी घाटी में जेलेप ला और अरूणाचल प्रदेश में बुम ला तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक पहुंचने के प्रमुख मार्ग हैं।

हिमालय में हिमनद

हिमानी (Glacier) की निचली सीमा को हिम रेखा (Snow line) की संज्ञा दी जाती है। इस रेखा की ऊँचाई भौगोलिक स्थितियों- यथा अक्षाशों, वर्षण की मात्रा एवं स्थलाकृतिक आदि विशेषताओं के ऊपर निर्भर करती है। यही कारण है कि हिमालय के विभिन्न | भागों में हिमरेखा की ऊँचाई अलग-अलग मिलती है। हिमालय के उत्तरी भाग (महान हिमालय) में औसत हिमरेखा की ऊँचाई 4500 से 6000 मी. पायी जाती है।

हिमालय में हिमनद रेखा की उँचाई

हिमलाय के भागहिम रेखा की ऊँचाई (मीटर)
औसत हिमरेखा4300-6000
महान हिमालय4500-6000
Western Himalaya5800
पूर्वी हिमालय4300

4300 ज्ञातव्य है कि हिमालय के प्रमुख हिमनद महान हिमालय और ट्रांस हिमालय के पर्वतों में पाये जाते हैं। पश्चिमी हिमालय में वर्षा की न्यूनता हिमरेखा को प्रभावित करती है।

वृहद् हिमालय में विश्व के कुछ विशालतम हिमनद (Glaciers) स्थित हैं। Geological survey of India तथा World Glacier inventor के अनुसार हिमालय के अधिकांश हिमनद 3 से 5 किमी. लम्बे हैं, किन्तु कछ विशाल हिमनद भी हैं। यथाः

हिमालय के प्रमुख हिमनद : एक दृष्टि में

हिमनदअवस्थिति लम्बाई (किमी.)
सियाचिनकाराकोरम76.6
बाल्टोरोकाराकोरम58
हिस्पाराकाराकोरम61
बियाफोकाराकोरम60
बातुराकाराकोरम58
चोगोलुंगमाकाराकोरम50
खार्दोजीनकाराकोरम41
रिमोंकश्मीर40
पुन्माहकश्मीर27
जेमूकाराकोरम19
गंगोत्रीउत्तराखण्ड (कुमायूँ)26
Rundunकाराकोरम25
केदारनाथउत्तराखण्ड 14
सासाइनीकाराकोरम17.8
मिलामउत्तराखण्ड (कुमायूँ)19
रूपलकश्मीर16
कंचनजंगासिक्किम/नेपाल16

ज्ञातव्य है कि काराकोरम के हिमनद प्लीस्टोसीन हिमयुग के अवशेष माने जाते हैं। इनके दैनिक खिसकाव की गति औसतन पार्यो में 8 से 13 सेमी. और मध्य भाग में 20 से 30 सेमी. पायी जाती है।

चौड़ीबाड़ी ग्लेशियर केदारनाथ मन्दिर (रूद्रप्रयाग) के उत्तर में अवस्थित है (UPPCS : M: 10)। इस ग्लेशियर के मध्य भाग को पिघलने से एक सरोवर का निर्माण हो गया है, जिसे ‘गाँधी सरोवर’ की संज्ञा प्रदान की गई है।

हिमालय के हिमनदों के पिघलने की गति सर्वाधिक है।*

महान तथा ट्रांस हिमालय में हिमालय के अधिकांश हिमनद पाये जाते हैं। पीर पंजाल तथा धौलाधार श्रेणियों में बड़े ग्लेशियरों (हिमनदों) के अवशेष विद्यमान हैं। सोना पानी ग्लेशियर पीर पंजाल श्रेणी का सबसे बड़ा ग्लेशियर है, जो कि लाहुल और स्पीति प्रदेश की चंद्रा घाटी में स्थित है।

मिलाम हिमनद (कुमाऊँ) शारदा नदी तथा गंगोत्री हिमनद गंगा नदी का उद्गम स्थल हैं।

विश्व का सबसे बड़ा ग्लेशियर पामीर क्षेत्र में अवस्थित । ‘फेड चेन्को ग्लेशियर’ है, जबकि ‘सियाचिन’ दूसरे नम्बर का सबसे बड़ा ग्लेशियर हैं।

भारत का सर्वाधिक ठंडा स्थल लद्दाख श्रेणी में द्रास नामक स्थल है।

IMPORTANT POINTS

उत्तराखण्ड की भागीरथी, अलकनंदा, धौली एवं गौरी गंगा नदियों का उद्गम (Origin) हिमालय के किस श्रेणी से हुआ है?

-वृहद (उच्च) हिमालय श्रेणी से

नन्दादेवी किस राज्य में स्थित है?

– उत्तराखण्ड में

भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटी K अर्थात् गाडविन आस्टिन किस पर्वत श्रृंखला में स्थित है?

काराकोरम श्रेणी में (पाक अधिकृत भारत में)*

•भारत में स्थित हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कौन-सी है?

– -कंचनजंगा (8598 मी.)*

किस पर्वत श्रेणी को ‘उच्च एशिया का मेरुदण्ड’ उपमा प्रदान की गई

-काराकोरम श्रेणी

लद्दाख श्रृंखला का सर्वोच्च पर्वत शिखर है

-राकापोशी

शचर जोन किसको अलग करती है?

ट्रांस एवं वृहद् हिमालय

तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को किस संज्ञा से जानते है?

-सांगपो

गंगोत्री हिमनद् किस हिमालय में स्थित है?

कुमायूँ हिमालय

नाथूला एवं जेलेपला दरें किस प्रदेश में स्थित हैं?

सिक्किम में*

चुम्बी घाटी कहाँ स्थित हैं?

-सिक्किम में*

प्रायद्वीप में वर्तमान में किस प्रकार की पहाड़ियाँ शामिल हैं?

-अवशिष्ट पहाड़ियाँ

काश्मीर घाटी तथा डलझील किसके बीच अवस्थित है?

-वृहद् हिमालय एवं पीर पंजाल

करेवा क्या है?

हिमनद, गाद, सघन रेत चिकनी मिट्टी और दूसरे पदार्थों का हिमोढ़ पर मोटी परत के रुप में जमाव

उत्तराखण्ड के किस भाग में पातालतोड़ कुएं पाये जाते हैं?

-तराई में

करेवा के लिए हिमालय का कौन-सा भाग प्रसिद्ध है?

कश्मीर हिमालय |

केसर (जाफरान) की खेती किस पर की जाती है?

करेवा पर

वैष्णों देवी, अमरनाथ गुफा एवं चरार-ए-शरीफ किस हिमालय में स्थित

-कश्मीर हिमालय

कश्मीर घाटी की उत्तरी तथा दक्षिणी सीमा किन श्रेणियों द्वारा निर्धारित होती है?

-क्रमशः जास्कर श्रेणी और पीरपंजाल श्रेणी द्वारा

काली नदी किसकी सहायक नदी है?

घाघरा की सहायक

•’फूलों की घाटी’ कहाँ स्थित है?

– कुमायूँ हिमालय

स्लैश एवं बर्न कृषि किस खेती पद्धति की उपमा है? –

स्थानांतरित कृषि

लोकटक झील किस घाटी में स्थित है?

– मणिपुर घाटी

•मोलेसिस बेसिन किस राज्य की संज्ञा है?

-मिजोरम

कंचनजंगा, मकालू, एवरेस्ट, अन्नपूर्णा एवं धौलागिरि पवर्त शिखरों का सही क्रम क्या है?

– पूर्व से पश्चिम

मेन बाउन्ड्री फॉल्ट किसको अलग करती है?

– मध्य तथा शिवालिक हिमालय को

हिमालय का वर्गीकरण नदी घाटियों के आधार पर किसने किया था?

– सिडनी बुराई

एक अभिनति श्रृंखला जो अरूणाचल प्रदेश तथा नगालैण्ड में उत्तर-दक्षिण में विस्तारित है

– पटकोई बुम

श्रीनगर को गिलगिट से जोड़ने वाला दर्रा है

-बुर्जिल दर्रा

जवाहर सुरंग किस दर्रे में स्थित है?

– बनिहाल दर्रा

•किस दर्रे का सम्पूर्ण भाग प्राचीन काल में रेशम मार्ग के अन्तर्गत था?

-खैबर दर्रा (अफगानिस्तान/पाकिस्तान)

• किन श्रेणियों के बीच सिन्धु नदी की घाटी विस्तृत है?

-जास्कर एवं लद्दाख

• पूर्वी घाट किन पहाड़ियों से निर्मित हैं? -नीलगिरि,पालकोण्डा, नल्लामलाई, जावादी और शेवराय

•कच्छ प्रायद्वीप का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है? – गिरनार (1117 मी.)

• हिमालय की तीनों श्रेणियों को सतलज नदी ने किस गार्ज द्वारा विच्छेदित किया

-शिपकीला गार्ज

• पश्चिमी हिमालय में अधिकांश वर्षा कैसे होती है? – पछुआ विक्षोभ द्वारा

• पाक अधिकृत क्षेत्र के अलावा भारतीय हिमालय की सबसे ऊंची चोटी कौन-सी

– कंचनजंगा (8598 मी.)

• सिक्किम राज्य में जम्मू-श्रीनगर मार्ग किस दर्रे से गुजरता है?

– बनिहाल दर्रा

•लेह को कुल्लू मनाली और केलांग से जोड़ता है?

– बड़ालपचा दर्रा (हिमाचल प्रदेश)

शेवराय पहाड़ियाँ किस राज्य में अवस्थित हैं?

तमिलनाडु

काराकोरम श्रृंखला का प्राचीन नाम क्या था?

– कृष्णागिरी

विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर माउण्ट एवरेस्ट हिमालय के किस भाग में स्थित है?

-वृहद् अथवा नेपाल हिमालय

भारतीय प्रायद्वीप किसका भाग है?

-गोंडवाना लैण्ड

कुल्लू एवं स्पीति घाटी को जोड़ने वाले दर्रे हैं?

देब्सा और रोहतांग

johnjustcooooool
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