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प्रश्न: चुनावी धोखाधड़ी लोकतंत्र के लिये खतरनाक क्यों है?
उत्तरः स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र के मूल आधार हैं। अगर भारतवर्ष में लोकतंत्र का पौधा लहलहा रहा है तो इसका श्रेय यहाँ की चुनाव प्रणाली को भी जाना चाहिये। वहीं हमारे पड़ोसी देशों में जैसे-पाकिस्तान, म्यांमार इत्यादि में जहाँ यह प्रणाली या तो संदिग्ध श्री या इसमें व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार होता था, वहाँ दशकों तक देश को सैनिक शासन का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रणाली में धोखाधड़ी से• जनता का सरकार पर से विश्वास उठ जाता है और उन्हें लगता है वे अपने प्रतिनिधियों द्वारा नहीं, भ्रष्टों द्वारा शासित हो रहे हैं। अंततः सरकार के खिलाफ व्यापक जनप्रतिरोध हो जाता है। राजनीति का अपराधीकरण बढ़ जाता है, क्योंकि भ्रष्ट व्यवस्था में सच्चे एवं निष्पक्ष प्रतिनिधियों का चुना जाना संभव नहीं। ऐसी प्रक्रिया से निर्मित सरकार को अन्य संस्थाएँ भी इज्जत से नहीं देखतीं और मौका मिलते ही इसे उखाड़ फेंकती है, जैसे-सेना द्वारा तख्तापलट किया जाना। जनप्रतिनिधि भी ऐसी स्थिति में जनता के लिये काम न कर राजनीतिक जुगत में लगे रहते हैं। अंतत: देश का विकास प्रभावित होता है।
भारत की चुनावी व्यवस्था पर EVM का प्रभाव
देश में चुनावी व्यवस्था को सफल बनाने, त्वरितता लाने, भ्रष्ट आचरण कम करने इत्यादि की दृष्टि से सबसे पहले गोवा, मणिपुर, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश विधानसभा में इसका प्रयोग किया गया था। इस व्यवस्था के आने से कई सकारात्मक परिणाम दिखने शुरू हुए हैं मानवीय भूलें कम हुई हैं तथा चुनाव संचालन, गिनने की प्रक्रिया इत्यादि त्वरित हुई है। चुनावी खर्चों में भी काफी कमी आई है। बूथ कैप्चरिंग, बोगस वोटिंग इत्यादि की शिकायतें कम हो रही है। कुल मिलाकर चुनावी व्यवस्था में जनता का विश्वास बढ़ा है।
हाल के विधानसभा चुनावों के बाद कुछ राजनीतिक दलों द्वारा इस प्रकार के आशंकाओं को उठाये जाने के बाद चुनाव आयोग द्वारा वोटिंग मशीन की सुरक्षा फीचर्स के बारे में विस्तार से बताया गया और बाद म आयोग ने ‘हेकाथॉन’ के माध्यम से यह चुनौती भी दी कि जिन्हें इस पर शक है वे ‘हैक’ करके दिखाएँ। । अंतत: कोई सामने न आया और इस अग्निपरीक्षा से यह प्रक्रिया और भी पारदर्शी, मजबूत और विश्वसनीय हुई।