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Curative Petition in Hindi उपचारात्मक याचिका
उपचारात्मक याचिका क्या है ?
अशोक हुर्रा मामले (2002) के दौरान एक प्रश्न उठा की रिव्यु पेटिशन Review Petition के बाद भी असंतुष्ट व्यक्ति के लिए कोई रास्ता बचता है , कि वह न्याय हासिल कर सके। इसके बाद ही उपचारात्मक याचिका अवधारणा की उत्पत्ति हुई| उपचारात्मक याचिका से संबंधित संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 137 में है। इस शक्ति के माध्यम से न्यायालय संसद द्वारा पारित विधि का पुनर्विलोकन कर सकता है, परंतु Supreme Court को यह शक्ति संसद द्वारा बनाई गयी विधि के अधीन है।
- उच्चतम न्यायलय इसके तहत अपने ही निर्णयों पर विचार कर कर सकता है
- इसका उद्द्येश था की न्यायलय कोई भी गलती करने से बचे।
- उपचारात्मक याचिका के अंतर्गत यह भी प्रावधान किया गया है कि, अनुच्छेद 145 के तहत बनाए गए कानूनों और नियमों के संबंध में, उच्चत्तम न्यायालय के पास अपने किसी भी निर्णय (अथवा आदेश) की समीक्षा करने की शक्ति है।
उपचारात्मक याचिका Curative Petition की प्रक्रिया
- उपचारात्मक याचिका / क्यूरेटिव पिटीशन, अंतिम रूप से सजा सुनाये जाने तथा इसके विरुद्ध समीक्षा याचिका खारिज हो जाने के पश्चात दायर की जा सकती है।
- उच्चत्तम न्यायालय में उपचारात्मक याचिका पर सुनवाई तभी होती है जब याचिकाकर्त्ता यह प्रमाणित कर सके कि उसके मामले में न्यायालय के फैसले से न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है साथ ही अदालत द्वारा निर्णय/आदेश जारी करते समय उसे नहीं सुना गया है।
- यह नियमित उपाय नहीं है बल्कि इस पर असाधारण मामलों में सुनवाई की जाती है।
- उपचारात्मक याचिका का सर्वोच्च नायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा प्रमाणित होना अनिवार्य होता है।
- इसके पश्चात क्यूरेटिव पिटीशन उच्चतम न्यायलय के तीन वरिष्टतम न्यायाधीशों को भेजी जाती है तथा इसके साथ ही यह याचिका से संबंधित मामले में फैसला देने वाले न्यायाधीशों को भी भेजी जाती है।
- उच्चतम न्यायालय की यह पीठ उपरोक्त मामले पर पुनः सुनवाई का निर्णय बहुमत से लेती है तो उपचारात्मक याचिका को सुनवाई के लिये पुनः उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाता है जिसने संबधित मामले में पूर्व निर्णय दिया था।
- क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की पीठ किसी भी स्तर पर किसी वरिष्ठ अधिवक्ता को न्याय मित्र (Amicus Curiae) के रूप में मामले पर सलाह के लिये आमंत्रित कर सकती है।
- सामान्यतः उपचारात्मक याचिका की सुनवाई जजों के चेंबर में ही हो जाती है परंतु याचिकाकर्त्ता के आग्रह पर इसकी सुनवाई ओपन कोर्ट में भी की जा सकती है।