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Deshdroh Kanoon देशद्रोह कानून : IPC Section 124A
जल्दी में ही असम की पुलिस ने एक पत्रकार पर IPC Section 124A लगायी है , जिसके ऊपर बंगाली भाषी और असमिया भाषी लोगों के बीच वैमनष्यता बढ़ाने के आरोप लगे है।इसे देशद्रोह कानून भी कहा जाता है।
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Section 124 ipc explained in hindi
अगर कोई व्यक्ति या संस्था , भारत में सविधान द्वारा स्थापित सरकार के लिए मौखिक, संकेत या किसी भी प्रकार से अवमानना या हिंसा पैदा करता है या किसी प्रकार से संलिप्त पाया जाता है तो उसे आईपीसी की धारा 124A के अंदर देशद्रोह कहा जाता है। इसमें यदि कोई व्यक्ति अवमानना या हिंसा पैदा नहीं करता है तो उसे देशद्रोह नहीं माना जाता है ।
राजद्रोह ( Section 124 ipc ) के अपराध हेतु दंड
- 3 वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा होती है तथा साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है ।
- इस कानून के तहत आरोपित व्यक्ति को सरकारी नौकरी प्राप्त करने से रोका जा सकता है।
- गैर-जमानती अपराध है।
- अपराध साबित हो जाने पर व्यक्ति पासपोर्ट भी प्राप्त नहीं कर सकता है ।
Backgroud of IPC 124A
- राजद्रोह कानून को 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड में अधिनियमित था, उस समय विधि निर्माताओं का मानना था कि सरकार के प्रति अच्छी राय रखने वाले विचारों को ही केवल अस्तित्व में होना चाहिये, क्योंकि गलत या हानिकारक राय सरकार और राजशाही दोनों के लिये नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकती थी। और विद्रोह पैदा करा सकती थी।
- इस कानून का मसौदा वर्ष 1837 में ब्रिटिश इतिहासकार थॉमस मैकाले द्वारा तैयार किया गया था, लेकिन वर्ष भारतीय दंड सहिता (IPC) 1860 लागू करने के दौरान इस कानून को IPC में शामिल नहीं किया गयाथा ।
संविधान सभा का रूख: देशद्रोह के प्रति
संविधान सभा संविधान में देशद्रोह को शामिल करने के पक्ष में नहीं थे। उन्हें ऐसा लगता था कि व्यक्ति की स्वतंत्रता इस से बाधित हो सकती है तथा इस धारा का अलग भविष्य की सरकार अपने विरुद्ध उठने वाली आवाज को देशद्रोह में सम्मिलित कर दबा सकती है ।और यह डेमोक्रेसी की हत्या होगी ।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की अवहेलना:
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1962 में केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य मामले में धारा 124A की संवैधानिकता पर अपना निर्णय दिया। इसमें इस धारा को कोर्ट ने सही साबित किया किंतु इस धारा का दायरा बहुत सीमित कर दिया। किंतु हम देख सकते है की सरकार इसका इस्तेमाल खुले हाथ कर रही है जो की संविधान सभा की अंदेशों को सही साबित करी है ।
इस कारण से भारत की छवि पश्चिम के देशों में खराब हो रही है तथा भारत डेमोक्रेसी इंडेक्स में भी गिरता जा रहा है ।
निष्कर्ष
- धारा 124A का उपयोग राष्ट्रविरोधी, अलगाववादी और आतंकवादी तत्त्वों से निपटने में है। सरकार के निर्णयों से असहमति और आलोचना अच्छे लोकतंत्र का उदाहरण है और देशद्रोह को इसके अंदर नहीं लाना चाहिए।
- यदि कोई व्यक्ति भारत की संप्रभुता या अखंडता के बारे में गलत सोच रखता है या आतंकवादी घटनाओं में शामिल है तो उन व्यक्तियों के उपर इस धारा का इस्तेमाल अत्यंत आवश्यक है ।
- भारत को इस धारा के प्रति लोगो में जागरूकता भी फैलानी चाहिए ताकि सभी व्यक्तियों को देशद्रोह की धारा 124a के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध हो ।