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Key stone species,फाउंडेशन प्रजाति, अंब्रेला प्रजाति, संकेतक प्रजाति
Key stone species
वे जातियाँ जो किसी समुदाय में प्रचुरता तथा जैवभार की अल्पता के बावजूद सामुदायिक अभिलक्षणों पर अपना प्रभाव दर्शाती हैं, की-स्टोन प्रजातियाँ कहलाती हैं।
कीस्टोन प्रजाति की अवधारणा की उत्पत्ति –
कीस्टोन प्रजाति की अवधारणा 1969 में जीवविज्ञानी रॉबर्ट टी. पेन द्वारा पेश की गई थी।
Examples of Keystone Species
Sea Otters, American Alligator, Bees, Large Mammalian Predators, Sea Stars, Hummingbirds, Tiger Sharks
फाउंडेशन प्रजाति (Foundation Species)
फाउंडेशन प्रजाति, अन्य प्रजातियों के निर्माण व संरक्षण में मुख्य भूमिका निभाती है। कोरल एक फाउंडेशन प्रजाति का उदाहरण है। कोरल, कोरल रीफ का निर्माण करते हैं जिस पर अन्य प्रजातियाँ निवास करती हैं |
अंब्रेला प्रजाति (Umbrella Species)
अंब्रेला प्रजाति के निर्धारण का कोई अंतर्राष्ट्रीय मानक नहीं है। लेकिन सामान्य परिभाषा में ये प्रजाति विस्तृत परास (Wide Range) वाले होते हैं जिस पर अन्य प्रजातियाँ निर्भर करती हैं। यह बहुत हद तक की-स्टोन प्रजाति की तरह ही होती है। इसका संरक्षण उसी निवास में रहने वाली अन्य प्रजातियों के लिए भी संरक्षण का कार्य करता है। सामान्यतः अंब्रेला प्रजाति सापेक्षिक रूप से उच्च कशेरुकी (Higher Vertebrates) एवं विशाल काया वाले होते हैं। जैसे- नॉर्दन स्पॉटेड आउल (Northern Spotted Owl), टाइगर, ग्रिजली बियर।
संकेतक प्रजाति (Indicator Species)
संकेतक प्रजाति से अभिप्राय किसी एक पौधा या जन्तु की प्रजाति से है जो पर्यावरण परिवर्तन के लिये बहुत संवेदनशील होता है। इसका अर्थ यह है कि यह प्रजाति पारिस्थितिकीय तंत्र की हानि से तुरंत प्रभावित होती है जिससे एक चेतावनी के रूप में इसका प्रयोग किया जा सकता है। बाहरी प्रभावों (जैसे-जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन) की हानि संकेतक प्रजाति पर पहले दिखाई देती है। जैसे-जल में प्रदूषण का स्तर ज्ञात करने के लिये मछली को एक संकेतक प्रजाति के रूप में जाना जाता है।