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Montagu Chelmsford Reforms (UPSC) मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार 1919
Montagu Chelmsford Reforms / Montford reforms in HIndi
- अगस्त घोषणा के पश्चात माउंटेन के साथ एक उच्चस्तरीय दल स्थित का अध्ययन करने भारत आया दल के अध्ययन के आधार पर जुलाई 1918 में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड रिपोर्ट प्रकाशित हुई और यह रिपोर्ट 1919 के भारत सरकार अधिनियम का आधार बनी।
- 1919 का अधिनियम भारत के विकास के एक दौर का सूचक था और उत्तरदाई शासन की प्रगति की उम्मीद था।
भारत सरकार अधिनियम 1919 और मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार की विशेषताएं
- इस अधिनियम के पारित होने समय लॉर्ड मांटेग्यू जैसे उदार व्यक्ति भारत के सचिव थे और चेम्सफोर्ड वायसराय थे इसीलिए इसे मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार या मांटफोर्ड सुधार कहते हैं।
1.प्रांतीय सरकार – द्वैध प्रणाली की शुरुआत
- इसकी विशेषता यह थी कि प्रांत में उत्तरदाई सरकार के लिए द्वैध शासन की स्थापना शुरू हुई। इस प्रणाली के जन्मदाता लियोनेस कर्टस थे।
- प्रांतीय विषयों को दो भागों में विभाजित किया गया आरक्षित विषय और हस्तांतरित विषय। आरक्षित विषयों पर गवर्नर अपनी कार्यकारी परिषद से सलाह लेता था और हस्तांतरित विषयों पर भारतीय मंत्रियों की सलाह लेता था
- संवैधानिक तंत्र विफल होने पर गवर्नर राज्य के प्रशासन और हनताईस हस्तांतरित विषयों पर दायित्व अपने हाथ में ले सकता था।
- प्रांतीय व्यवस्थापिका सभा में सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी गई
- मताधिकार में वृद्धि कर दी गई और सांप्रदायिक निर्वाचन का भी विस्तार कर दिया गया
- महिलाओं को भी वोट देने का अधिकार दिया गया
- प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाएं प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकती थी पर पारित होने के लिए गवर्नर के सहमति अनिवार्य थी।
- प्रांतीय परिषदों को अब विधान परिषदों की संज्ञा दी गई।
2.केंद्रीय सरकार -की अनुउत्तरदाई शासन की व्यवस्था यथावत
- गवर्नर जनरल मुख्य कार्यपालिका का अधिकारी था
- सभी विषयों को दो भागों में बांटा गया केंद्रीय और प्रांतीय
- गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में तीन भारतीय नियुक्त किए गए (Total 8)
- केंद्रीय व्यवस्थापिका को द्विसदनीय संस्था बना दिया गया –
- केंद्रीय विधानसभा तथा राज्य परिषद
भारत सरकार अधिनियम 1919 का मूल्यांकन
- भारत के संवैधानिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान है किसी ने पहली बार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की।
- आंशिक रूप से ही सही उत्तरदाई शासन प्रणाली की व्यवस्था की।
- भारत मंत्री के वेतन एवं भक्तों को भारतीय राजस्व के स्थान पर ब्रिटिश राजस्व से दिया जाने लगा
- एक नए पदाधिकारी भारतीय उच्चायुक्त की नियुक्त की गई
- भारत सरकार अधिनियम 1919 दोष
- मताधिकार बहुत सीमित था
- केंद्र में गवर्नर जनरल और उसकी कार्यकारिणी परिषद पर कोई नियंत्रण नहीं था और विषयों का विभाजन संतोषजनक नहीं था
- प्रांतीय मंत्रियों का वित्त और नौकरशाही पर कोई नियंत्रण नहीं था आत: कालांतर में टकराव बढ़ा।
- संयुक्त उत्तरदायित्व का पूर्ण अभाव था
मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार या मांटफोर्ड सुधार के प्रति कांग्रेस के विचार
कांग्रेस ने मुंबई अधिवेशन में इस अधिनियम को निराशाजनक घोषित किया।