प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) (Pradhan Mantri Awas Yojana-Gramin-PMAY-G)
इंदिरा आवास योजना जिसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1985 में शुरू किया था, को नए कलेवर में प्रधानमंत्री आवास योजना ( ग्रामीण ) के नाम से 20 नवंबर, 2016 को शुरू किया गया। इस योजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जा रहा प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के अंतर्गत सभी बेघर और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले ग्रामीण लोगों को पक्का मकान बनाने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
परिचय
इस परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में ₹ 81,975 करोड़ की वित्तीय लागत से लगा कर लगभग 1 करोड़ घर बनाए जाएंगे।
ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत वर्ष 2017-18 में 51 लाख घरों तथा 2018-19 में शेष 51 लाख घरों का निर्माण कर ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ से अधिक परिवारों को घर उपलब्ध कराना है। दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे भारत में क्रियान्वित की जाएगी। मकानों की कीमत केंद्र एवं राज्यों के बीच बाँटी जाएगी। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के अंतर्गत, लाभार्थी को पक्के घर के निर्माण के लिये मैदानी इलाकों में ₹1.20 लाख और पहाडी राज्यों, दुर्गम इलाकों और आईएपी जिलों में ₹ 1.30 लाख की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
जिन क्षेत्रों में सामग्रियों की खराब उपलब्धता, खराब कनेक्टिविटी, प्रतिकूल भू-आकृतिक और जलवायवीय परिस्थितियों आदि कारकों के कारण निर्माण की लागत अधिक है। उन क्षेत्रों के लिये सहायता की मात्रा भिन्न है।
तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण आवास के मद्देनजर राष्ट्रीय तकनीकी सहायता एजेंसी (ATSA) की स्थापना भी की जाएगी। इस एजेंसी का काम गुणवत्तापूर्ण निर्माण को सुनिश्चित करना, कार्यक्रम की निगरानी करना, सूचना, संचार , और शिक्षा गतिविधियों, ई-गवर्नेस का विकास एवं प्रबंधन करना आदि है।
इस कार्यक्रम के लिये अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकता की पूर्ति राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ( NABARD ) द्वारा की जाएगी। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण के रूप में सहायता इसकी एक अन्य विशिष्टता है। लाभार्थियों का चयन 2011 की जनगणना पर आधारित होगा। घरों का आकार.25 वर्ग मी. का होगा।
2022 तक सभी बेघर लोगों को आवासीय सुविधा प्रदान करना, साथ ही समाज के हर तबके का समावेशी विकास करना।
सरकार ने पीएमएवाई-जी के अंतर्गत लाभार्थियों को 1 वर्ष में निर्धारित 100 दिनों से भी अधिक कार्य दिवसों के नियम के मद्देनजर घरों के निर्माण के लिये मनरेगा रोज़गार कार्ड धारकों को संलग्न करने की अनुमति दी है। इसका लक्ष्य अधिक कार्य की इच्छा रखने वाले मनरेगा कार्ड धारकों को अतिरिक्त आय प्राप्त कराना है।
राज्य जहाँ तक संभव हो, यह सुनिश्चित करे कि लाभार्थियों का 3 प्रतिशत निशक्तजनों के बीच में से हो।
FUNDING OF PRADHAN MANTRI AWAS YOJANA GRAMIN
वर्ष 2018-19 तक एक करोड़ घरों के निर्माण के लिये पीएमएवाई-जी कार्यक्रम की कुल लागत ₹1,30,075 करोड़ है। यह लागत भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच में मैदानी क्षेत्रों के लिये 60 : 40 के अनुपात में साझा की जाएगी।
उत्तर-पूर्वी राज्यों और तीन हिमालयी राज्य जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की स्थिति में लागत साझा करने का
अनुपात 90:10 होगा।
संघ राज्य क्षेत्रों के संबंध में केंद्र सरकार पूर्ण लागत प्रदान करेगी। इस कार्यक्रम की कुल लागत का केंद्रीय हिस्सा ₹ 81,975 करोड़ बैठता है जिसमें से ₹60,000 करोड़ की लागत को बजटीय सहायता से पूरा किया जाएगा और ₹21,975 करोड़ नाबार्ड से ऋण के माध्यम से पूरे किये जाएंगे।
योजनाओ का एकीकरण
शौचालय के निर्माण को पीएमएवाई-जी के तहत घर का अभिन्न अंग बनाया गया है। इस योजना के अंतर्गत घरों को पूरा बना हुआ का समेकन तभी माना जाएगा जब उसमें शौचालय का निर्माण किया गया हो। बिजली मंत्रालय की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, पीएमएवाई-जी लाभार्थी को बिजली का कनेक्शन प्रदान करने के लिये प्रभावी होगी।