शैवाल ALGAE UPSC notes in Hindi

शैवाल एक सरल जीव है। अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं, अर्थात या स्वपोषी होते हैं एक कोशिकीय से लेकर बहुकोशिकीय हो सकते हैं परंतु इनमें पौधों के समान जड़ पत्तियां आदि नहीं होते हैं

शैवाल का वर्गीकरण क्रिस्टो गम के थैलोफाइटा वर्ग में किया गया है अधिकांश वालों पानी के तालाबों रुके हुए तथा समुद्र में पाए जाते हैं।

शैवाल का प्रयोग कृषि उद्योग और चिकित्सा में बहुत महत्वपूर्ण है शैवाल वायु से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में नाइट्रोजन के यौगिकों में बदल कर उसे स्थिर कर देते हैं नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा देते हैं। इसीलिए यह फसल वृद्धि में सहायक है।

जापान चीन इंडोनेशिया आस्ट्रेलिया आदि देशों में शैवाल मुख्य खाद्य पदार्थ हैं यानी कि इनको खाया जाता है तथा शैवाल मछलियों का आहार भी है।

अर्थात कहा जाए तो यह हरे रंग की वनस्पतियां हैं इनमें जड़ पत्तियां और तने अलग नहीं होते हैं ज्यादातर दलदली भाग में और जल में विकसित होते हैं स्वच्छ जल में पाए जाने वाले शैवालहरे रंग के तथा समुद्री जल में पाए जाने वाले सवाल लाल या भूरे रंग के होते हैं।

ALGAE Bloom

जली पारितंत्र में तीव्र गति से सवालों की वृद्धि को हल्की ब्लू कहते हैं एलजी ब्लूम प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों रूप के होते हैं।

स्थिर एवं गर्म पानी में एलजी अपने आप को मात्रात्मक रूप से बड़ा लेते है।

जब एलजी ब्लूम पारितंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं तो इसे हार्मफुल एलजी ब्लूम कहते हैं यह ब्लूम वातावरण को विषाक्त कर देता है जो दूसरे समुदायों को भी हानि पहुंचाता है।

मुख्यतः साइनोबैक्टीरिया हानिकारक Algae Bloom के लिए उत्तरदाई होते हैं। Cyanobacteria को blue green algae भी कहा जाता है।

रिसर्च के अनुसार भारत में या भारत के समुद्रों में पिछले 12 वर्षों में विषैले bloom में 15% की वृद्धि हुई है।

RED Tide

जब किसी जलीय क्षेत्र में या समुद्र में phyto plankton में तीव्र वृद्धि हो जाती है जिससे समुद्र का रंग परिवर्तित हो जाता है तो इसे सामान्यता RED TIDE कहा जाता है।

RED TIDE

Red tideएक भ्रामक शब्द है क्योंकि रंग प्रजाति पर निर्भर है इसीलिए कभी-कभी रेड टाइड को ब्राउन टाइड ग्रीन टाइट भी कहा जाता है।

Red tideमुख्य रूप से dinoflagellate के कारण होता है।

यह कुछ समय तक ही रहता है और इस से मछलियों की मृत्यु भी हो जाती है।

Phyto plankton
SOURCE- NASA
Ankur Singh
Ankur Singh
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