Marle Minto Sudhar 1909 in Hindi bill 1909 के अधिनियम को विस्तार से समझाइये
मार्ले-मिन्टो सुधार- Marle Minto Sudhar 1909 in Hindi
marle minto sudhar kab hua ?
- अक्टूबर 1906 में आगा खां के नेतृत्व में एक मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल, जिसे शिमला प्रतिनिधिमण्डल कहा जाता है, वायसराय लार्ड मिन्टो से मिला और मांग की कि मुसलमानों के लिये पृथक निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की जाये तथा मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाये। प्रतिनिधिमंडल ने तर्क दिया कि उनकी साम्राज्य की सेवा’ के लिये उन्हें पृथक सामुदायिक प्रतिनिधित्व दिया जाये।
- 1906 में ढाका में नवाब सलीमुल्लाह, नवाब मोहसिन-उल-मुल्क और वकार-उल-मुल्क द्वारा मुस्लिम लीग की स्थापना की गयी थी। लार्ड मिन्टो से मिलने वाला यह प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही मुस्लिम लीग में सम्मिलित हो गया। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को साम्राज्य के प्रति निष्ठा प्रकट करने की शिक्षा दी तथा मुस्लिम बुद्धिजीवियों को कांग्रेस से पृथक रखने का प्रयास किया।
- अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों के समान स्वशासन की कांग्रेस की मांग को ब्रिटिश शासन सम्मुख रखने के लिए गोपाल कृष्ण गोखले भी जॉन मॉर्ले, भारत सचिव, से मिलने इंग्लैंड चले गए।
- मुख्य सुधार, वायसराय, लॉर्ड मिन्टो, और भारत सचिव, जान मॉर्ले, उदारवादियों और मुस्लिमों द्वारा प्रस्तुत कुछ सुधारों पर सहमत हुए। उन्होंने सुधारों और उपायों का एक दस्तावेज तैयार किया, जिसे मॉर्ले-मिन्टो या मिन्टो-मॉल) सुधार के नाम से जाना गया और जो भारतीय परिषद् अधिनियम 1909 के रूप में रूपांतरित हुआ।
भारतीय परिषद् अधिनियम 1909 (मार्ले-मिन्टो सुधार)
marle minto sudhar adhiniyam / andolan kya hai
- इस अधिनियम के अनुसार, केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषदों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी गयी। प्रांतीय विधान परिषदों में गैर-सरकारी बहुमत स्थापित किया गया। किंतु गैर-सरकारी सदस्यों में नामांकित एवं बिना चुने सदस्यों की संख्या अधिक थी, जिसके कारण निर्वाचित सदस्यों की तुलना में अभी भी उनकी संख्या अधिक बनी रही। Marle Minto Sudhar 1909 in Hindi
- केंद्रीय व्यवस्थापिका सभा में 60 सदस्य और 9 पदेन सदस्य होते थे इन सदस्यों में से 27 में से 8 सीटें मुस्लिम के लिए आरक्षित थी। 4 सीटें ब्रिटिश पूजीपतियों के लिए और २ सीटें जमींदारों के लिए आरक्षित थी।
- यह 60 निर्वाचित सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते थे। स्थानीय निकायों से निर्वाचन परिषद का गठन होता था। ये प्रांतीय विधान परिषदों के सदस्यों का निर्वाचन करती थीं। प्रांतीय विधान परिषदों के सदस्य केंद्रीय व्यवस्थापिका के सदस्यों का निर्वाचन करते थे।
- इस अधिनियम द्वारा मुसलमानों के लिये पृथक सामुदायिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू की गयी। साथ ही मुसलमानों को प्रतिनिधित्व के मामले में विशेष रियायत दी गयी। उन्हें केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषद में जनसंख्या के अनुपात में अधिक प्रतिनिधि भेजने का अधिकार दिया गया। मुस्लिम मतदाताओं के लिये आय की योग्यता को भी हिन्दुओं की तुलना में कम रखा गया।
- व्यवस्थापिका सभाओं के अधिकारों में वृद्धि की गयी। सदस्यों को आर्थिक प्रस्तावों पर बहस करने, उनके विषयों में संशोधन प्रस्ताव रखने, उनको कुछ विषयों पर मतदान करने, प्रश्न पूछने, साधारण प्रश्नों पर मतदान करने, साधारण प्रश्नों पर बहस करने तथा सार्वजनिक हित के प्रस्तावों को प्रस्तुत करने का अधिकार दिया गया। व्यवस्थापिकाओं को इतने अधिकार देने के पश्चात भी गवर्नर जनरल तथा गवर्नरों को व्यवस्थापिकाओं में प्रस्तावों को ठुकराने का अधिकार था।
मार्ले-मिन्टो सुधार सुधार का मूल्यांकन 1909
1909 के मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम के दोषों का परीक्षण करें
- मार्ले-मिन्टो के सुधारों से भारतीय राजनैतिक प्रश्न का न कोई हल हो सकता था और न ही इससे वह निकला। अप्रत्यक्ष चुनाव, सीमित मताधिकार तथा विधान परिषद की सीमित शक्तियों ने प्रतिनिधि सरकार को मिश्रण सा बना दिया। लार्ड मार्ले ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत स्वशासन के योग्य नहीं है। कांग्रेस द्वारा प्रतिवर्ष स्वशासन की मांग करने के पश्चात भी मार्ले ने स्पष्ट तौर पर उसे ठुकरा दिया। उसने भारत में ससदीय शासन व्यवस्था या उत्तरदायी सरकार की स्थापना का स्पष्ट विरोध किया। उसने कहा ‘यदि यह कहा जाये कि सधारों के इस अध्याय से भारत में सीधे अथवा अवश्यंभावी संसदीय व्यवस्था स्थापित करने अथवा होने में सहायता मिलेगी तो मेरा इससे कोई संबंध नहीं होगा। Marle Minto Sudhar 1909 in Hindi
- वास्तव में 1909 के सुधारों का मुख्य उद्देश्य उदारवादियों को दिग्भ्रमित कर राष्ट्रवादी दल में फूट डालना तथा साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को अपना कर राष्ट्रीय एकता को विनष्ट करना था। सरकार इन सुधारों द्वारा नरमपंथियों एवं मुसलमानों को लालच देकर राष्ट्रवाद के उफान को रोकना चाहता थी। सरकार एवं मुस्लिम नेताओं ने जब भी द्विपक्षीय वार्ता की, उसका मुख्य विषय पृथक निर्वाचन प्रणाली ही रहा किंतु वास्तव में इस व्यवस्था से मुसलमानों का छोटा वर्ग ही लाभान्वित हो सका।
- इस अधिनियम के अंतर्गत जो चुनाव पद्धति अपनायी गयी वह इतनी अस्पष्ट थी कि जन प्रतिनिधित्व प्रणाली एक प्रकार से बहुत सी छन्नियों में से छानने की क्रिया बन गयी। कुछ लोग स्थानीय निकायों का चुनाव करते थे, ये सदस्य चुनाव मण्डलों का चुनाव करते थे और ये चुनाव मण्डल प्रांतीय परिषदों के सदस्यों का चुनाव करते थे
- और यही प्रांतीय परिषदों के सदस्य केंद्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव करते थे। सुधारों को कार्यान्वित करते हुए बहुत सी गड़बड़ियां उत्पन्न हो गयीं। संसदीय प्रणाली तो दे दी गयी परंतु उत्तरदायित्व नहीं दिया गया, जिससे सरकार की विवेकहीन तथा उत्तरदायी प्रक्रिया की आलोचना की जाने लगी। भारतीय नेताओं ने विधान मण्डलों का सरकार की कटु आलोचना करने का मंच बना लिया। केवल गोपाल कृष्ण गोखले जस कुछ भारतीय नेता ही इस अवसर का वास्तविक उपयोग कर सके।
- ऐसी स्थिति पैदा हो गयी कि विधानमण्डल तथा कार्यकारिणी के बीच कड़वाहट बढ़ गयी तथा भारतीयों और सरकार के सम्बंध और बदतर हो गये। 1909 के सुधारों से जनता ने कुछ और ही चाहा था और उन्हें कुछ और ही मिला। भारतीयों ने स्वशासन की मांग की तथा उन्हें हितवादी निरंकशता सौंप दी गयी। Marle Minto Sudhar 1909 in Hindi
महात्मा गांधी ने कहा ‘मार्ले-मिन्टो सुधारों ने हमारा सर्वनाश कर दिया।
मार्ले मिंटो सुधार बिल किस वर्ष पारित किया गया
1909
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