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Plankton Organism Marine Organism – PhytoPlanktons & Zooplanktons
PHYTOPLANKTONS & ZOOPLANKTONS AND SEA GRASS IN HINDI
प्लैंक्टन समुदाय
सागरीय बायोम के प्रकाशित क्षेत्र (Euphotic Zone) और सागर के ऊपरी इपिपेलैजिक मंडल (Epipelagic Zone) तथा सागर तल से 200 मीटर गहरे भाग में जल के ऊपरी भाग पर पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव-जन्तु, पादपों को प्लैंकटन कहते हैं। सूक्ष्म पादप जैसे शैवाल, सूक्ष्म जीव आदि प्लैंकटन समुदाय के जीव हैं। इस श्रेणी के पादपों को फाइटोप्लैंकटन (Phytoplankton) तथा जंतुओं को जूप्लैंकटन (Zooplankton) कहते हैं। फाइटोप्लैंकटन सूक्ष्म आकार के होते हैं तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन तैयार करते हैं। जूप्लैंकटन फाइटोप्लैंकटन से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। फाइटोप्लैंकटन खाद्य श्रृंखला के प्राथमिक उत्पादक हैं। सागरीय जीव इन पर निर्भर करते हैं।
फाइटोप्लैंकटन (Phytoplanktons)
फाइटोप्लैंकटन सूक्ष्म आकार के अत्यधिक जनन क्षमता वाले होते हैं। अत्यन्त कम समय में ये अत्यधिक संख्या में जनन कर देते हैं परन्तु उतनी ही संख्या में जूप्लैंकटन एवं अन्य समुद्रीय जीवों द्वारा इनका भक्षण हो जाता है। शैवाल तथा डायटम इनके प्रमुख उदाहरण हैं। ये सागरीय जल के ऊपरी भाग पर तैरने वाले हरे पादप हैं। इनका अधिक विकास ठंडे सागरीय क्षेत्रों में होता है। यह इतनी तेज़ी से फैलते है कि समुद्र को ढंक देते है
यह स्वापोषी होते है जो प्रकाश संश्लेषण करते है। Phytoplanktonप्रायः व्हेल का प्रमुख भोजन होते है और यह प्राथमिक उत्पादक होते हैं इसकी कुछ प्रजातियां गर्म और ठंडे दोनों जलीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं यहां पर आया प्रकाशित स्थल में ही पाए जाते हैं क्योंकि इन्हें प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
जूप्लैंकटन (Zooplanktons)
Zooplankton सागरीय जंतुओं का जीवनरूप है।
ये समुद्री जल और ताजे पानी दोनों जगह पाए जाते हैं यह हेट्रोट्रोफ होते हैं यानी Phytoplankton को कंज्यूम करते है अर्थात समुद्री पारितंत्र में प्राथमिक एवं द्वितीयक उपभोक्ता होते हैं।
यह पानी की बीच की लेयर में तैरते हुए पाए जाते हैं इनके लिए सूर्य का प्रकाश आवश्यक नहीं है।
Example-Meroplankton, holoplankton, crustaceans,protozoans
समुद्री घास (Sea Grass)
समुद्री घास को प्रायः समुद्र के फेफड़े कहा जाता है।यह छिछले तटीय जल में पाई जाती है।
ये धाराओं की गति तथा आवेग को कम करती है तथा जल से अवसादों को अलग कर देती है। जिससे अपरदन कम होता है। प्रवाल भित्ति एवं एश्चुअरी क्षेत्रों में समुद्री घास पोषक तत्त्वों के सिंक (Sink) के रूप में कार्य करती है। यह रासायनिक अवसादों को पोषक तत्त्वों से अलग कर समुद्री पर्यावरण को स्वस्थ बनाती है।