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समीक्षा याचिका क्या है (What is Review Petition)
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समीक्षा याचिका / पुनर्विचार याचिका – Review Petition in hindi
Review Petition – उच्चतम न्यायलय Supreme Court जब कोई निर्णय देता है तो वह अंतिम होता है और वही कानून बन जाता है और आगे कोर्ट के लिए एक बेंचमार्क की तरह कार्य करता है, हालाँकि न्यायलय को Article 137 के सम्बन्ध में अपने निर्णय के सम्बन्ध में समीक्षा करने के शक्ति है।जब किसी निर्णय की समीक्षा की जाती है तब नए साक्ष्यों को पेश करने के अनुमति नहीं होती , निर्णय की समीक्षा केवल इस आधार पर होती है कि विशिष्ट तथा संकीर्ण आधार पर निर्णय दिया गया है या न्याय में गंभीर त्रुटियां (grave errors) है।
समीक्षा याचिका किस प्रकार दायर होती है ?
- जब कोई व्यक्ति फैसले से असहमत है या संतुष्ट नहीं है तो वह रिव्यु पेटिशन डाल सकता है चाहे वह पक्षकार हो या नहीं।
- समीक्षा याचिका Review Petition, आदेश की तारीख के 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिये।
- कुछ विशेष परिस्थितियों में इस सम्बन्ध में देरी मान्य है।
समीक्षा याचिका कब स्वीकार की जाती है?
- 1975 में तत्कालीन न्यायमूर्ति कृष्ण/कृष्णा अय्यर ने कहा था कि समीक्षा याचिका तभी स्वीकार कि जाएगी जब कोई भयानक भूल हुई हो या सम्भावना हो, तभी समीक्षा याचिका स्वीकार की जा सकती है।
समीक्षा याचिका हेतु अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
- समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई वकीलों की मौखिक दलीलों के बिना ही की जाएगी’। यह सुनवाई न्यायधीशों द्वारा चैम्बरों में की जा सकती है।
- समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई, जिन्होंने निर्णय दिया था उनके द्वारा या उनके संयोजन से की जा सकती है। यदि वह न्यायधीश अनुपस्थित है तो नए न्यायधीशों की नियुक्ति की जा सकती है।
- अपवाद के रूप में, न्यायालय मौखिक सुनवाई की अनुमति भी दी जा सकती है।
समीक्षा याचिका के असफल होने के बाद क्या किया जा सकता है ?
रूपा हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा मामले (2002) में मामले में क्यूरेटिव पिटीशन Curative Petition की अवधारणा सुप्रीम कोर्ट ने विकसित की। जो रिव्यु पेटिशन के बाद सुनी जा सकती है।