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इंसोल्वांसी और बैंकरप्सी संहिता
Table of Contents
Insolvency and Bankruptcy code
सामान्य प्रक्रिया
इंसोल्वांसी और बैंकरप्सी संहिता Insolvency and Bankruptcy code = अगर कोई फर्म या कंपनी कर्ज लेकर उसे नहीं चुकाती है तो उसे आईबीसी IBC के तहत कंपनी को दिवालिया घोषित किया जाता है और उस कंपनी की सारी सम्पत्ति बैंक की हो जाती है, जिसको नीलाम कर पैसे ही उगाही कर ली जाती है
यह एक संहिता क्यों है?
. संहिता कानूनों का संग्रह होता है।
. IBC , NBFC दिवाला, शोधन, सक्षमताऔर विघटन संबंधी विभिन्न कानूनों का संग्रह है।
Insolvency किस तरह से कार्य करती है?
- किसी व्यक्ति कंपनी या साझेदारी फर्म के लिए रिजॉल्यूशन कि प्रक्रिया अलग अलग है।
- यह लेनदार या देनदार दोनों में से कोई भी शुरू कर सकता है।
- कंपनी के लिए प्रक्रिया 180 दिनों में पूरी करनी होती है तथा इसे 90 दिन के लिए बढ़ाया का सकता है अर्थात 270 दिन में पूरी प्रक्रिया करनी ही होगी।
- स्टार्ट अपस के लिए (1 करोड़ से कम संपत्ति) के लिए यह प्रक्रिया 90 दिन में पूरी करनी होगी। इसे 45 दिन के लिए बढ़ाया जा सकता है।
Insolvency Regulator
Insolvency and bankruptcy board of India (IBBI)
1.इंसोल्वेसी की कार्यवाही की देखरेख के लिए
2.रजिस्टर्ड संस्थाओं को regulate करने के लिए
IBBI की स्थापना यह संहिता करती है। इसके 10 सदस्य होंगे।
Insolvency professional Agencies and insolvency resolution Professionals (IRP)
लाइसेंस देकर प्रोसेस को पूरा करने के लिए प्रोफेशनल्स रखे जाएंगे।
NCLT और NCLAT का गठन
- 1 जून 2016 को nclt और nclat का गठन सरकार ने किया।तत्काल रूप से ग्यारह पीठ स्थापित की गई। National company Law Tribunal कंपनी के लिए होगा , जो कंपनी के लिए ट्रिब्यूनल का काम करेगा।
- व्यक्तियों के लिए इन्सलवांसी की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए DEPT RECOVERY TRIBUNAL होगा।
पूरी प्रक्रिया
- जब कोई देनदार , बैंक को 90 दिन तक कर्ज का कोई भी भाग नहीं चुका पाता तो उस असेट को नॉन परफॉर्मिंग असेट NPA घोषित कर दिया जाता है।
- उसके बाद कर्जदाताओं की सहमति से मामला आईबीसी के अन्तर्गत NCLT में जाता है। लेनदार या देनदार की याचिका स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए ट्रिब्यूनल के पास 14 दिन का समय होता है।
- ट्रिब्यूनल इसे स्वीकार करने के बाद 180 दिन के भीतर एक संकल्प योजना तैयार करने के लिए प्रोफेशनल्स की नियुक्ति करते है।
- इसके बाद कोर्ट के द्वारा रिजॉल्यूशन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है।
- इस अवधि में कंपनी का निदेशक मंडल निलंबित रहता है।
कितना सफल रहा है यह कोड Insolvency and Bankruptcy code
अब तक प्रस्तुत 4738 मामलों में 2750 का निपटान किया का चुका है। जो भारत जैसे देश के लिए तरक्की की बात मानी जा सकती है।