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GENERAL GEOGRAPHIC INTRODUCTION OF INDIA
Chapter 1 -भारत का सामान्य भौगोलिक परिचय
भारत का नामांकन (Nomination of India)
Chapter 1 -भारत का सामान्य भौगोलिक परिचय – सिन्धु घाटी सभ्यता भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जननी मानी जाती है। वैदिक आर्यों का निवास स्थान सिन्धु घाटी में ही था। इस देश का नाम ‘ब्रह्मावर्त’ अथवा ‘आर्यावर्त’, उत्तर भारत में निवास करने वाले आर्यों के नाम पर किया गया। ऋग्वैदिक पांच जनों में से शक्तिशाली ‘जन’ (Tribe) ‘भरत’ के नाम पर इस देश का नाम ‘भारत वर्ष’ पड़ा। वायु पुराण के एक अन्य संदर्भ में दुष्यन्त के पुत्र ‘भरत’ का उल्लेख है, जिसके नाम पर इस भू-भाग को ‘भारत’ कहा गया। वास्तव में ‘भारत’ शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम पुराणों में ही मिलता है। बौद्धकाल में इस क्षेत्र को ‘जम्बू द्वीप’ संज्ञा से अभिहित किया गया। भारत के पर्याय के रूप में प्रयुक्त ‘इण्डिया’ (India) शब्द की व्युत्पत्ति यूनानी शब्द इण्डोई (Indoi) से मानी जाती है। रोमवासी सिंधु नदी को ‘इण्डस’ एवं उसके पूर्व स्थित ‘भू-भाग’ को ‘इण्डिया’ संज्ञा से अभिहित करते थे। पारसियों (ईरानियों) ने सिन्धु नदी को ‘हिन्दू’ एवं इस प्रदेश को सर्वप्रथम ‘हिन्दुस्तान’ नाम से संबोधित किया। भारत अर्थात् ‘इण्डिया’ (India) अतीत काल से ही एक सुस्पष्ट भौगोलिक एवं भू-राजनीतिक इकाई के रूप में सुस्थापित रहा है।
इसके उत्तर-पश्चिम, उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में हिमालय पर्वतमाला और दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में हिन्द महासागर एवं उसके दो उत्तरी जल भागों-अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी अवस्थित हैं। इसके भौगोलिक विस्तार में भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, एवं भूटान जैसे प्रभुत्व-सम्पन्न देश शामिल हैं, जिसके कारण इसके लिए इसे ‘भारतीय उपमहाद्वीप’ (Indian Sub-continent) की संज्ञा से अभिहित किया जाता है। श्रीलंका एवं मालद्वीव को सम्मिलित करते हुए आज यह समस्त भूभाग ‘दक्षिण एशिया’ के नाम से जाना जाता है।
भारत की प्राकृतिक अवस्थिति हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में पायी जाती है। भारतीय प्रायद्वीप सागर के इस क्षेत्र में 1600 किमी. प्रविष्ट होकर इसे अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी संज्ञक दो जलीय क्षेत्रों में विभक्त कर देता है। उभयतटीय स्थिति देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्य एवं मध्य-पूर्व, दक्षिणी-पूर्वी एशिया तथा पूर्वी एशिया के लोगों के साथ सांस्कृतिक संपर्क में महत्व पूर्ण भूमिका अदा किया है। भारत की आकृति चतुष्कोणीय है। यह दक्षिणी एशिया के मध्य में स्थित है। इसके पूर्व में इण्डोचीन प्रायद्वीप व पश्चिम में अरब प्रायद्वीप स्थित है। इसका उत्तर-दक्षिण विस्तार 3214 किमी. तथा पूर्व-पश्चिम की चौड़ाई 2933 किमी. है। दोनों के बीच अन्तर मात्र 281 किमी. है। समूचा भारत लगभग मानसूनी जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है, जिसका विस्तार उष्ण तथा उपोष्ण के दोनों कटिबन्धों में है। इसका क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किमी. है। ज्ञातव्य है कि इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला 78114 वर्ग किमी. क्षेत्र, पाकिस्तान द्वारा अवैध ढंग से चीन को प्रदत्त 5180 वर्ग किमी. क्षेत्र और गैरकानूनी ढंग से चीन के कब्जे वाला 37,555 वर्ग किमी. का क्षेत्र भी शामिल है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का सातवाँ बड़ा देश (2.43%) है।
भारत की खगोलिकीय अवस्थिति (Astronomical location of India) भारत अक्षांशीय दृष्टि से उत्तरी गोलार्द्ध का देश है तथा देशान्तरीय दृष्टि से पूर्वी गोलार्द्ध में मध्यवर्ती स्थिति रखता है। इसकी मुख्य भूमि का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ से 37°6′ उत्तरी अक्षांश और देशान्तरीय विस्तार 68°7′ से 97°25′ पूर्वी देशान्तर के मध्य है।
* सम्पूर्ण भारत अर्थात् द्वीपों सहित भारत का अक्षांशीय विस्तार 6°45′ से 37°6′ उत्तरी अक्षांश के मध्य है, अर्थात् भारत का विस्तार उष्ण एवं उपोष्ण दोनों कटिबंधों में है। ज्ञातव्य है कि उष्ण कटिबंध क्षेत्र का विस्तार 23°30′ उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य होता है। 23°30′ उत्तरी अक्षांश की रेखा जिसे कि कर्क रेखा कहा जाता है, भारत के मध्य से होकर गुजरती है। यह रेखा भारत के कुल आठ राज्यों-गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पं. बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम और सारणीगत शहरों के नजदीक से होकर गुजरती हैं। यह रेखा राजस्थान के डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा जिलों से होकर गुजरती है।* 82°30′ पूर्वी देशान्तर को भारत का मानक देशान्तर चुना गया है, जो हमें भारत का मानक समय (Indian Standard Time) प्रदान करता है।
* मानक देशान्तर चुनने का कारण यह है कि विश्व के देशों में आपसी समझौते के अन्तर्गत मानक देशान्तर 7°30′ देशान्तर के गुणांक पर चुना जाता है ताकि 7°30′ देशांतरीय दूरी पर स्थित स्थानों के बीच आधे घण्टे (30 मिनट) का समयान्तर हो, भारतीय मानक समय ग्रीनविच माध्य (GM.T.) समय से 5 घंटे 30 मिनट आगे है।
* मानक समय के कारण ही भारत के सभी स्थानों की घड़ियाँ एक समय दर्शाती हैं जबकि उत्तर पूर्वी राज्यों में सूर्योदय कच्छ के रन से लगभग दो घण्टे पहले होता है। ज्ञातव्य है कि 82°30 पूर्वी देशान्तर का भारतीय मानक समय देशान्तर रेखा प्रयागराज के नैनी से होकर गुजरती हुई भारत के पाच राज्यो- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आन्ध्र प्रदेश से होकर जाती है। जैसा कि विदित है कि सभी देशान्तर रेखाएं पृथ्वी को बराबर भागों में विभक्त करती हैं। यही कारण है कि सभी देशान्तर रेखाओं को ‘महानवृत्त’ (Great Circle) की संज्ञा प्रदान की जाती है। क्या आप जानते हैं? 100° देशान्तर जिसे कि मध्याह्न देशान्तर (Noon Meridian) कहते हैं, के | ठीक विपरीत प्रति धुवस्थ (Antipodal) स्थिति पर 180° पूर्वी या पश्चिमी देशान्तर होगा जहाँ अर्द्ध रात्रि होगी, इसलिए 180° को अर्द्धरात्रि देशान्तर (Midnight meridian) कहा जाता है। इस क्षण 90° पूर्वी देशान्तर पर सूर्यास्त (Sunset) तथा 90° पश्चिमी देशान्तर पर सूर्योदय (Sunrise) होगा। * 10360°/24 घण्टा = 15° अर्थात् 15° देशान्तर वृत्त को घंटा-वृत्त (Hour | Circle) कहा जाता है। इस प्रकार 1° देशान्तरीय दूरी तय करने में | पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है।
0° देशान्तर से पूरब जाने पर प्रति | 15° देशान्तर पर 1 घंटे समय बढ़ता है जो 180° देशान्तर पर 12.00 घंटे हो जाता है। इसको P.M. (Post Meridian) कहा जाता है। इसके विपरीत पश्चिम गोलार्द्ध में जाने पर समय प्रति 15° देशान्तर एक घंटे पीछे होता जाता है जिसे A.M. (Anti Meridian) कहा जाता है। 180° देशान्तर के समय को 0 घंटे (Zero hour) कहा जाता है।* किसी भी देशांतर से जब बायीं ओर जाते हैं तो प्रत्येक 1° देशांतर पर | समय में 4 मिनट की कमी आती है जबकि दायीं ओर 4 मिनट की वृद्धि होती है। ध्यातव्य है कि 0° देशांतर (ग्रीनविच रेखा) के बायीं ओर पश्चिमी देशांतर व दायीं ओर पूर्वी देशांतर होते हैं जबकि 180° देशांतर ( अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा) के बायीं ओर पूर्वी देशांतर व दायीं ओर पश्चिमी देशांतर होते हैं।
• अधिक देशान्तरीय विस्तार वाले देशों में एक से अधिक मानक देशांतर रेखाएँ | होती हैं। जैसे- रूस में 9, USA एवं कनाडा में 6-6 समय कटिबंध हैं।”
भारत की सीमाएँ (India’s Frontiers)
हमारा देश हिन्द महासागर एवं हिमालय पर्वत के मध्य स्थित है। इसका सबसे उत्तरी बिन्दु जम्मू-कश्मीर राज्य में 37°6′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित ‘इंदिरा कॉल’ है। भारत के मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिन्दु ४°4′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित कन्याकुमारी या केप कमोरिन अंतरीप है, जो तमिलनाडु राज्य में स्थित एक द्वीप है।
भारत का दक्षिणतम बिन्दु इंदिरा प्वाइंट है, जो ग्रेटनिकोबार द्वीप के 6°45′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है। इसे पिग्मेलियन प्वाइंट अथवा पारसन प्वाइंट की संज्ञा से भी अभिहित किया जाता हैं।
देश का सुदूरस्थ पश्चिमी बिन्दु गुजरात के राज्य गौरा मोता व गुहार मोती है जबकि पूर्वोत्तम बिन्दु अरुणाचल प्रदेश में स्थित किबिथु हैं।
देश की चतुर्दिक अंतिम सीमा बिंदु
दक्षिणतम बिन्दु- इन्दिरा प्वाइंट (ग्रेट निकोबार द्वीप)*
उत्तरतम बिन्दु – इन्दिरा कॉल (जम्मू-कश्मीर)*
पश्चिमोत्तम बिन्दु- गौरा मोता (गुजरात) पूर्वोत्तम बिन्दु- किबिथु (अरुणाचल प्रदेश)
मुख्य भूमि की द. सीमा – कन्याकुमारी 8°4′ अक्षांश (तमिलनाडु)*
इसकी स्थलीय एवं जलीय सीमाएं तथा उसके पड़ोसी देश उसे विशिष्ट भौगोलिक, वाणिज्यिक एवं व्यापारिक स्थिति प्रदान करते है।
स्थलीय सीमाएँ (Land Frontiers)
भारत की स्थलीय सीमाओं की लंबाई 15,200 किमी. है। भारत के उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान, उत्तर में चीन, नेपाल तथा भूटान और पूर्व में म्यांमार तथा बांग्लादेश हैं। भारत की सबसे लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा बांग्लादेश के साथ तथा सबसे छोटी सीमा अफगानिस्तान के साथ है।
पड़ोसी देशों के मध्य सीमा विस्तार पड़ोसी देश सीमा की लंबाई (किमी. में)
भारत – बांग्लादेश सीमा 4096.7
भारत-चीन 3488
भारत-पाक सीमा 3323
भारत – नेपाल सीमा 1751
भारत – म्यांमार सीमा 1643
भारत – भूटान सीमा 699
भारत – अफगानिस्तान सीमा 106
कुल सीमा 15106.7
CONTEXT= Ministry of Home Affairs in January : 2004
भारत-बांग्लादेश सीमा
– भारत के पड़ोसी देशों में भारतबांग्लादेश की सीमा सर्वाधिक लम्बी (4096.7 किमी.) है, जो भारत की स्थलीय सीमा (15,200 किमी.) का लगभग 27 प्रतिशत है। भारत के पाँच राज्य- असोम, मेघालय, त्रिपरा. मिजोरम तथा प. बंगाल, बांग्लादेश की सीमा को स्पर्श करते है। बांग्लादेश से स्पर्श करती हुई सर्वाधिक लम्बी सीमा रेखा पश्चिमी बंगाल (2217 किमी.) की है। दूसरे नम्बर पर त्रिपुरा का स्थान है। यह सीमा पूर्णतः मानव निर्मित है, जो कि गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा को विभाजित करती है।
भारत-चीन सीमा
यह सीमा (3488 किमी.) एक प्राकृतिक सीमा है, जो भारत की दूसरी सबसे लम्बी सीमा है। इस सीमा को भारत के पाँच राज्य- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश स्पर्श करते हैं। इस सीमा रेखा की सर्वाधिक लम्बाई अरुणाचल प्रदेश में है। भारतचीन सीमा को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता हैं। यथा :
(a) पश्चिमी सीमा : यह भारत के जम्मू-कश्मीर को चीन के सिंकयांग प्रांत से अलग करती है। यह गिलगिट और सिंकयांग के बीच काराकोरम जल विभाजक का अनुसरण करते हुए सिन्धु नदी के बेसिन को तारिम बेसिन से अलग करती है। यह सीमा भारत के सिन्धु तथा चीन के खोतान जल-तंत्र के मध्य जल विभाजक का काम करती है। भारत की दृष्टि से यह सीमा स्थायी नहीं है।
(b) मध्यवर्ती सीमा : यह भारत के दो राज्य-हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखण्ड को स्पर्श करती है। यह सीमा भाग लद्दाख से नेपाल तक जल विभाजक का अनुसरण करती है। इस सीमा पर दोनों देशों के मध्य कोई बड़ा विवाद नहीं है।
(c) पूर्वी सीमा : इस सीमा का विस्तार भूटान के पूर्वी छोर से, तालू दर्रे के निकट भारत-तिब्बत-म्यांमार विसंधि तक है। प्रायः इसे शिमला समझौता (1913-14) में उपस्थित ब्रिटिश प्रतिनिधि हेनरी मैक मोहन के नाम पर मैक मोहन रेखा की संज्ञा प्रदान की जाती है। इसकी लंबाई 1140 किमी. है। ज्ञातव्य है कि इस सीमा रेखा को भारत वैध अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है। किन्तु चीन इस सीमा रेखा के अवैध मानते हुए अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिणीतिब्बत’ का अंग मानता है।
भारत-पाकिस्तान सीमा
इस सीमा का विस्तार 3323 किमी. है, जो जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पंजाब एवं गुजरात राज्य की सीमा को स्पर्श करता है। इसका निर्धारण 1947 में रैडक्लिफ पंचाट द्वारा किया गया, कारण स्वरूप इसे रेडक्लिफ रेखा की संज्ञा दी जाती है। यह सीमा रेखा पूर्णतया मानवकृत एवं विवादित सीमा रेखा है, जिसके कारण 1948, 1965, 1971 तथा 1999 में दोनों देशों के मध्य युद्ध हो चुके हैं। इस विवाद का मुख्य मुद्दा- कश्मीर, सियाचिन ग्लेशियर, कच्छ का रण एवं सरक्रीक (Sir Creck) रहा है। भारत–पाक राज्यवार सीमा विभाजन राज्य सीमा लम्बाई (किमी.) जम्मू-कश्मीर* 1225 राजस्थान 1037 PANJAB 553 गुजरात 508 कुल 3323
भारत-नेपाल सीमा
यह सीमा दोनों के मध्य 1751 किमी. लम्बी है. जो पश्चिम में नेपाल-तिब्बत-उत्तराखण्ड त्रिसंधि से प्रारंभ होकर पूरब में सिक्किम तक चली जाती है। भारत के पाँच राज्य- उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम, नेपाल की सीमा को स्पर्श करते हैं। इन राज्यों में बिहार नेपाल के साथ सर्वाधिक लम्बी (729 किमी.) सीमा बनाती है।
भारत-नेपाल राज्यवार सीमा विभाजन
राज्य सीमा की लम्बाई KM
बिहार 729
उत्तर प्रदेश 560
उत्तराखण्ड 263
प.बंगाल 100
सिक्किम 99
कुल 1751
भारत-म्यांमार सीमा
इस सीमा की लम्बाई 1643 किमी. है, जो भारत के चार राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, नगालैण्ड, मणिपुर, तथा मिजोरम को स्पर्श करती है। इस सीमा की सर्वाधिक लम्बाई अरुणाचल प्रदेश (520 किमी.) एवं मिजोरम (510 किमी.) में है। म्यांमार का अराकान योमा पर्वत भारत तथा म्यामांर के मध्य लम्बी प्राकृतिक सीमा का निर्माण करती है। ज्ञातव्य है कि दोनों देश के मध्य सीमा का निर्धारण 1926 के यूदांबू (Yundaboo) संधि के आधार पर हुई थी, जिसका सही निर्धारण 10 मार्च, 1967 की द्विपक्षीय संधि के द्वारा हुआ।
भारत-भूटान सीमा
इस सीमा की लम्बाई 699 किमी. है। यह सीमा भारत के चार राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असोम एवं अरुणाचल प्रदेश को स्पर्श करती है। इस सीमा की सर्वाधिक लम्बाई असोम के साथ स्पर्श करती है। इसका निर्धारण 1949 की संधि द्वारा हुआ था। दोनों देशों के मध्य सैन्य सहयोग की संधि है।
भारत-भूटान राज्य वार सीमा विभाजन राज्य सीमा लम्बाई (किमी. में)
असोम* 267
अरुणाचल प्रदेश 217
प.बंगाल 183
सिक्किम 032
कुल 699 (7)
भारत-अफगानिस्तान सीमा
इस सीमा की लंबाई 106 किमी. है। स्वतंत्रता से पूर्व भारत-अफगानिस्तान सीमा का निर्धारण 1896 में सर मोर्टिमर डुरंड द्वारा किया गया था। वर्तमान में भारत-अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के मध्य इसका विभाजन हो गया है। यद्यपि यह भारतीय क्षेत्र पाक अधिकृत है।
जलीय सीमाएँ (Water Frontiers)
(1) भारत के मुख्य भूमि की तटीय सीमा की लंबाई 6,100 किमी. है।* द्वीपों समेत देश की कुल तटीय सीमा 7516.6 किमी. 22716.6 (15200+7516.6) किमी. है।*
(2) मुख्य भूमि की तटीय सीमा के कुल 66 जिले एवं 9 राज्य स्पर्श करते है। इसके अलावा 4 केन्द्र शासित प्रदेश एवं उसके 4 जिले तटीय सीमा को स्पर्श करते हैं। तटीय राज्यों में सर्वाधिक तटीय लम्बाई वाला राज्य गुजरात (1215 किमी.) है।
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