कुछ बड़े नेता जैसे बाल गंगाधर तिलक, एनी बेसेंट, एस सुब्रमण्यम, अय्यर मोहम्मद अली आदि मिले और यह निर्णय लिया-कि ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के तहत अखिल भारतीय होमरूल या स्वशासन की मांग के लिए एक राष्ट्रीय गठबंधन होना आवश्यक है । और ‘आयरिश होम रूल लीग‘ की तर्ज पर ऑल इंडिया होम रूल लीग (All india homerule League) की स्थापना हुई थी।
All India Homerule League ऑल इंडिया होमरूल लीग in Hindi
- बाल गंगाधर तिलक की इंडियन होमरूल लीग (पुणे मुख्यालय था)
- एनी बेसेंट की होम रूल लीग (मद्रास मुख्यालय था)
- प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात यह सबसे कम प्रभावशाली आंदोलन के रूप में शुरू हुआ किंतु आगे चलकर इसमें तत्कालीन सभी आंदोलनों को पीछे छोड़ दिया।
- बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंटदोनों की होम रूल लीग में यह महसूस किया कि आंदोलन की सफलता के लिए कांग्रेस के साथ-साथ अतिवादी राष्ट्र वादियों का भी समर्थन आवश्यक है। 1914 में नरमपंथी यों एवं अति वादियों के मध्य समझौते के प्रयास असफल हो जाने के बाद दोनों ने राजनीतिक गतिविधियों को जीवंत रखने का निश्चय किया।
- 1915 के प्रारंभ में एनी बेसेंट ने भारत में स्वशासन की स्थापना हेतु अभियान प्रारंभ किया जनसभाएं की और पत्र प्रकाशित किए-न्यू इंडिया और कॉमन वील
- कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में दोनों को अपने प्रयासों में थोड़ी सफलता मिली परंतु बाद में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लीग को स्वीकृति प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठा रहे हैं ,अतः लीग के माध्यम से वह अपने उद्देश्यों के लिए स्वतंत्र हैं
- बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने किसी भी प्रकार के आपसी टकराव को दूर रखने के लिए स्वतंत्र अलग-अलग लीग की स्थापना की।
होमरूल लीग प्रारंभ होने के उत्तरदाई कारण
- मार्ले मिंटो सुधार का वास्तविक स्वरूप आने पर नरम पंक्तियों का भ्रम सरकार पर से उठ गया ।
- प्रथम विश्वयुद्ध मैं भारतीय संसाधनों का खुलकर प्रयोग किया गया और युद्ध के उपरांत क्षतिपूर्ति के लिए भारतीयों पर भारी कर आरोपित किए गए
- युद्ध के पश्चात शवेतों की अजेयता का भ्रम भी टूट गया
- जून 1914 में तिलक भी जेल से बाहर आ गए थे और वह किसी शुभ अवसर की तलाश कर रहे थे उन्होंने कहा हिंसा के प्रयोग से भारतीय स्वतंत्रता प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है
होम रूल लीग के कार्यक्रम / उद्देश्य
- भारतीय जनमानस को होमरूल अर्थात स्वशासन के वास्तविक अर्थ से परिचित कराना था भारत के राजनैतिक दृष्टिकोण से पिछड़े क्षेत्रों जैसे गुजरात और सिंध तक अपनी पैठ बनाई
- आंदोलन का उद्देश्य पुस्तकालय एवं और अध्ययन कक्षा का संग्रह करना और जनसभाओं में राजनीतिक शिक्षा को प्रोत्साहित करना था।
- इस सब के लिए लिखने समाचार पत्रों, राजनीतिक विषयों पर विद्यार्थियों की कक्षाओं का आयोजन, टेंपलेट्स, पोस्टर, नाटक और धार्मिक गीतों के माध्यम से अपनी बात पहुंचाई लिखने स्थानी कार्यों के माध्यम से बहुसंख्यक भारतीयों से जुड़ने का प्रयास किया।
- 1917 की रूसी क्रांति से भी लीग को कार्य में सहायता मिली
- अनेक प्रमुख राष्ट्रवादी नेताओं ने लीग की सदस्यता ग्रहण की जिनमें से मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, भूलाभाई देसाई, चितरंजन दास, सैफुद्दीन किचलू, मदन मोहन मालवीय ,मोहम्मद अली जिन्ना, तेज बहादुर सप्रू प्रमुख थे
- गोपाल कृष्ण गोखले की सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के भी अनेक सदस्यों ने लीग की सदस्यता ग्रहण की
होमरूल लीग के प्रति सरकार का रुख
- कड़ी कार्यवाही और लीग के कार्यक्रमों को रोकने के लिए दमन का सहारा लिया एवं मद्रास में सरकार ने छात्रों पर कठोर कार्यवाही की बाल गंगाधर तिलक पर न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया उनके पंजाब और दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगा दी गई
- जून 1917 में एनी बेसेंट और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया
- अत्यंत नौटकी ढंग से एस सुब्रमण्यम अय्यर ने अपनी सर की उपाधि त्याग दें।
- सरकारी कुचक्र के विरोध में आंदोलनकारी और अधिक संगठित हो गए
- 1917 को भारत के सचिव मांटेग्यू के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने बोला की युद्ध के बाद भारत की स्वायत्त संस्थाओं का क्रमिक विकास होगा और नेताओं को भी जेल से रिहा कर दिया गया।
होमरूल लीग उपलब्धियां
- आंदोलन ने केवल शिक्षित वर्ग के स्थान पर जनसामान्य की महत्ता को भी प्रतिपादित किया तथा सुधार द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन के मार्ग को स्थाई तौर पर परिवर्तित कर दिया
- देश और शहरों के मध्य संगठित संपर्क का माध्यम बना
- आंदोलन ने जुझारू राष्ट्र वादियों की एक नई पीढ़ी को जन्म दिया
- अगस्त 1917 के मांटेग्यू घोषणाएं और चेम्सफोर्ड सुधार काफी हद तक Indian Home Rule के आंदोलन से प्रभावित थे
- तिलक और एनी बेसेंट के प्रयासों से लखनऊ अधिवेशन में नरम दल और गरम दल के मध्य समझौता होने में सहायता मिली
क्या कारण था कि 1919 आते-आते होमरूल आंदोलन धीमा पड़ गया
- 1917 और 1918 में हुए सांप्रदायिक दंगों का आंदोलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा
- अति वादियों द्वारा बाद में हिंसात्मक प्रतिरोध अपनाए जाने के कारण नरमपंथी आंदोलन से प्रथक होने लग ।
- मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के सार्वजनिक हो जाने के बाद राष्ट्रवादी यों में आपसी मतभेद पैदा हो गए।
- Valentine shirol की पुस्तक इंडियन अनरेस्ट में तिलक को भारत की उग्र वादी राजनीति का जनक बोला ,तो तिलक ने शिरोल के खिलाफ लाईबेल मामला दायर किया, और इस सिलसिले में वह विदेश चले गए जिस कारण बेसेंट अकेली रह गई
- महात्मा गांधी के उत्थान और उनके आंदोलनों के जनसमर्थन ने होमरूल को निष्प्राण कर दिया
- गांधी ने 1920 तक भारतीय कांग्रेस के मंच का प्रयोग नहीं किया लेकिन वह होमरूल के साथ घनिष्ठता से जुड़े थे पर उन्होंने सदस्यता नहीं ली निरंतर निवेदन के बाद अप्रैल 1920 में होमरूल की अध्यक्षता स्वीकार कर ली और अक्टूबर 1920 में मुंबई में उसका नाम बदलकर स्वराज्य सभा रख दिया।
उत्तराखंड में होमरूल लीग की स्थापना कब हुई
होमरूल आन्दोलन के अध्यक्ष
होम रूल लीग का मुख्यालय कहां था