UNCLOS (United Nations Convention on Law of Seas) पर भारत ने अपना रुख जाहिर किया ।

भारत सरकार ने UNCLOS के प्रति अपना समर्थन जताते हुए अपना रुख संसद में व्यक्त किया है कि भारत UNCLOS के इस अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्ध है और वह बिना किसी दबाव में आए हुए इस कानून का सम्मान करेगा ।

UNCLOS क्या है ? in hindi

यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो समस्त विश्व के महासागरों पर किसी भी देश के अधिकार एवं उत्तरदायित्व के नियम निर्धारित करता है और इन महासागरों के संसाधनों के प्रयोग के लिए नियम बनाता है इस पर 1994 में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर करके इसको प्रभावी बनाया गया जबकि इस कानून का समझौता 1982 में ही तैयार हो गया था। इस समझौते पर अब तक 161 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं जबकि 60 वा हस्ताक्षर करने वाला देश गुयाना था।

इसको अब समुद्री कानून (Law of Seas) के रूप में भी जाना जाता है यह समझौता आज के समय में एकमात्र ऐसा समझौता है जो देशों के समुद्री अधिकार निर्धारित करता है। यह महासागर को 5 क्षेत्रों में विभाजित करता है –

  1. आंतरिक जल
  2. प्रादेशिक जल
  3. निकटवर्ती क्षेत्र
  4. विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र
UNCLOS: The United Nations Convention on the Law of the Sea

आंतरिक जल – इसमें किसी भी देश के अंदर के सारी नदियों एवं जलाशयों होते हैं इसमें कोई भी देश अपने तरीके से नियम बना सकता है।

प्रादेशिक जल = इसमें किसी देश के तट से 12 समुद्री मील के भीतर का क्षेत्र उस देश का क्षेत्र क्षेत्र माना जाता है और वह देश इस पर कोई भी कानून बना सकता है और सारे संसाधन का प्रयोग कर सकता है आपातकालीन स्थिति में वह देश इस क्षेत्र में आने-जाने पर प्रतिबंध लगा सकता है।

निकटवर्ती क्षेत्र – इस क्षेत्र में 12 समुद्री मील से आगे 24 समुद्री मील तक का क्षेत्र आता है।

विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र– देश के तट से 200 समुद्री मील तक किसी भी राष्ट्र का उस सागर के संसाधनों पर आर्थिक अधिकार है, चाहे वह समुद्र तल पर हो या फिर नीचे तेल हो, इस क्षेत्र में विदेशी विमानों और नौकाओं को आने-जाने की इजाजत है।

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